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बड़वानी जिले की आधी आबादी नहीं लायसेंस के प्रति जागरूक

हजारों महिलाएं, युवतियां चला रही वाहन, एक साल में 12 सौ ने ही बनवाए लायसेंस, शिविरों में बनते लर्निंग लायसेंस, पक्के बनवाने नहीं आती महिलाएं, आदिवासी जिले में पुरुषों की भी रूचि नहीं लायसेंस बनवाने में

बड़वानीApr 19, 2019 / 10:19 am

मनीष अरोड़ा

Not aware of license

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खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. कहने को तो महिलाएं आज के युग में पुरुषों के बराबर खड़ी हैं और हर काम में पुरुषों की बराबरी कर रही है। वाहन चलाने में भी महिलाएं पुरुषों से पीछे नहीं है, लेकिन लायसेंस बनवाने में महिलाओं की संख्या पुरुषों से बहुत ही कम है। जिले की आधी आबादी अब तक वाहन चलाने के लिए बनने वाले लायसेंस के प्रति जागरूक नहीं हो पाई है। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो एक साल में पुरुषों के बने लायसेंस के 10 प्रतिशत भी लायसेंस महिलाएं नहीं बनवाती है। यातायात विभाग द्वारा नियमों को लेकर की जाने वाली चालानी कार्रवाई में भी महिलाओं को छूट मिलने से लायसेंस के प्रति महिलाओं में जागरुकता नहीं आ पा रही है।
जिले में हर साल 20 हजार से ज्यादा वाहनों का रजिस्ट्रेशन परिवहन विभाग में होता है।इसके मुकाबले बनने वाले महिलाओं के लायसेंस की संख्या 5 से 8 प्रतिशत भी नहीं है। लायसेंस बनाने की उम्र 18 वर्ष होती है। जिले में 18 वर्ष से लेकर इससे अधिक आयू की महिलाओं की संख्या मतदाता सूची के अनुसार 4 लाख 64 हजार 972 की है। महिलाओं की आबादी की संख्या के अनुसार यदि पांच प्रतिशत महिलाएं भी वाहन चला रहीं है तो उनकी संख्या करीब 22 से 24 हजार हो रही हैं। इसके मुकाबले पिछले सवा साल का रिकार्ड देखा जाए तो मात्र 1208 महिलाओं ने ही वाहन के लायसेंस बनवाए है। यानि कि वाहन चलाने वाली 10 प्रतिशत महिलाएं भी लायसेंस नहीं बनवा रही है।
लर्निंग लायसेंस बनवाने के बाद नहीं आती वापस
तीन साल पहले भाजपा सरकार की तत्कालीन मंत्री अर्चना चिटनिस ने छात्राओं में लायसेंस के प्रति जागरुकता के लिए पिंक लायसेंस की व्यवस्था शुरू की थी। जिसके तहत स्कूल, कॉलेज जाने वाली, विभागों में कार्यरत महिलाओं को लायसेंस बनाने के लिए विशेष सुविधाएं दी गई थी। इसके लिए आरटीओ अधिकारियों द्वारा समय समय पर स्कूलों, कॉलेजों में शिविर भी लगाए गए थे। शिविरों में युवतियों, छात्राओं, महिलाओं ने लर्निंग लायसेंस तो बनवा लिए, लेकिन बाद में पक्का लायसेंस बनवाने के लिए आरटीओ कार्यालय तक नहीं गई। आरटीओ विभाग में सवा साल में करीब 2055 लर्निंग लायसेंस महिलाओं के बने, जो बाद में निरस्त हो गए।
पुरुषों की संख्या भी कम
जिले में आरटीओ कार्यालय को शुरू हुए करीब 15 साल हो चुके है। जिले में इस दौरान करीब दो लाख से ज्यादा दो-पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है।18 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों की मतदाता सूची के अनुसार जिले में 4 लाख 74 हजार 312 की संख्या है।वाहनों की तुलना में पुरुषों के लायसेंस की संख्या भी कम है।जिले में 2018 से लेकर अब तक 11515 पुरुषों ने लायसेंस बनवाए है। वहीं, इस दौरान 7783 लर्निंग लायसेंस भी बने है। दरअसल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने और दूरस्थ पहाडिय़ों में निवास करने वाले ग्रामीण वाहन तो चला लेते है, लेकिन लायसेंस बनवाने में कोई रूचि नहीं रखते। शहर में आने पर यदाकदा चालानी कार्रवाई के दौरान पकड़े जाने पर जुर्माना भरकर छूट जाते है और लायसेंस बनवाना भूल जाते है।
-1 जनवरी 2018 से अब तक बने लायसेंस
-11515 पुरुषों ने बनवाए पक्के लायसेंस
-7783 पुरुषों के लर्निंग लायसेंस बने
-1208 महिलाओं ने बनवाए पक्के लायसेंस
-2055 महिलाओं के बने लर्निंग लायसेंस।

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