जिस भवन में आग लगी है, वह काफी समय से बंद पड़ा है। मौके पर पहुंचे विभाग के एसडीओ के ने बताया कि कार्यालय भवन करीब 15 वर्ष पूर्व तक संचालित होता था। इसके बाद स्टोर रुम के रुप में तब्दील हो गया। फिलहाल यहां जो दस्तावेज रखे थे, वो खंडवा जिले के पुनर्वास संबंधित बताए गए हैं, जो किसी काम के नहीं थे।
भ्रष्टाचार छुपाने का हो सकता है प्रयास: उधर नबआं के राहुल यादव ने इस अग्निकांड को भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए कहा कि सरदार सरोवर बांध व इंदिरा सागर परियोजना में भ्रष्टाचार का मामला कोई नया नहीं है। हाल ही में कलेक्टर ने इंदिरा सागर नहर मामले में दो बड़े भ्रष्टाचारों का खुलासा किया है। ऐसे में इस कार्यालय में रखे बड़ी मात्रा में दस्तावेज आग से खाक होना भ्रष्टाचार छुपाने का प्रयास हो सकता है, इसकी जांच करवाकर भ्रष्ट अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए।
इधर.. डूब प्रभावितों ने घेरा कार्यालय
सरदार सरोवर की बांध के बैक वाटर की डूब आने के बाद डूब गांवों के कई लोगों का पुनर्वास नहीं हुआ है। ऐसे में लोग टीनशेड में रहने को मजबूर है। पिछले दो सालों से टीनशेड में रहने वाले प्रभावित समस्याओं के बीच अपना जीवन यापन कर रहे हैं। सोमवार को इन्होंने एनवीडीए कार्यालय का घेराव कर पूर्ण पुनर्वास की मांग की। कार्यालय का घेराव करने पहुंचे डूब प्रभावितों ने मकान बनाने के लिए 5 लाख 80 हजार की मांग करते हुए उन्हें सुविधाएं प्रदान करने की बात की। इन्होंने कहा कि बिना पुनर्वास का आई डूब गैरकानूनी है और बिना पुनर्वास डूब उन्हें मंजूर नहीं है। घेराव के दौरान नर्मदा बचाओ आंदोलन के कमला यादव, कैलाश यादव, कुंवरसिंह, धनराज आवस्या, समोती बाई, राहुल यादव सहित ग्राम अवल्दा, कुकरा-राजघाट, जांगरवा, धनोरा, नंदगांव, पिछोड़ी, जामदा, बिजासन, कसरावद, भवती, मोहीपुरा, छोटा बड़दा, कुंडिया, बगूद, सोंदूल आदि गांव के लोग शामिल थे।
भवन में आग लगी है, वहां 2001-02 का रेकार्ड था, उसमें सभी अनुपयोगी कागजात ही थे। वहां काम के कोई कागज नहीं था। ये पुनर्वास डिवीजन था, उसका सब डिवीजन वहां लगता था। बाद में वह कार्यालय हमारे यहां शिफ्ट हो गया। वहां पर काम के कोई कागजात नहीं थे। इस संबंध में एसडीएम ने सुबह पंचनामा बना लिया है।
एसएस चंगौड़, एनवीडीए