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बड़वानी

सरदार सरोवर बांध के गेट खोलने का आदेश

नर्मदा बचाओ आंदोलन का राजघाट सत्याग्रह स्थगित, कलेक्टर ने दिया आश्वासन, सभी प्रभावितोंं का सरकार और आंदोलन प्रतिनिधियों के साथ जाइंट सर्वे कराएंगे

बड़वानीAug 09, 2019 / 11:45 am

मनीष अरोड़ा

Order to open the gate of Sardar Sarovar Dam

Order to open the gate of Sardar Sarovar Dam

बड़वानी. नर्मदा बचाओ आंदोलन का राजघाट सत्याग्रह गुरुवार-शुक्रवार की मध्यरात्रि 2 बजे गुजरात सरकार द्वारा बांध के गेट खोलने का आदेश जारी करने और बड़वानी कलेक्टर के आश्वासन पर स्थगित किया गया है। सभी प्रभावितों का सरकार और आंदोलन के प्रतिनिधियों के साथ जाइंट सर्वे कराया जाएगा। सरकारी पुनर्वास समितियों में आंदोलन के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के मंत्री से जल्द मुलाकात कराई जाएगी। कलेक्टर ने ये काम तत्काल प्रारंभ करने का आश्वासन दिया है। जिसे रिकार्ड किया गया है। इसी बीच सरदार सरोवर बांध के गेट खोलने की आंदोलन की मांग मान ली गई है। इस संबंध में गुजरात सरकार का इस बारे में आदेश संलग्न है। नर्मदा के जल स्तर में मामूली कमी भी आई है। अभी नर्मदा का जलस्तर 131 मीटर से थोड़ा नीचे है, लेकिन लाख टके की एक बात संघर्ष हर हाल में जारी रहेगा। जब तक हर प्रभावित का नीति अनुसार सही और संपूर्ण पुनर्वास नहीं हो जाता।
चारों ओर पानी से घिरा राजघाट, प्रशासन पहुंचा रेस्क्यू करने, हुआ विरोध
सरदार सरोवर बांध की डूब में आ रहा राजघाट कुकरा में गुरुवार सुबह तेजी से पानी भराया। यहां बुधवार रात 11 बजे कलेक्टर और एसपी निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। रात में ही नर्मदा में बढ़ते पानी को लेकर गुरुवार सुबह से डूब क्षेत्र में लगी दुकानें, मकान, मंदिर और आश्रमों को टीन शेड में विस्थापित करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद गुरुवार सुबह 8 बजे प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ और एसडीआरफ की टीम यहां रेस्क्यू के लिए पहुंची। यहां दुकानें और कुटिया नुमा मकान खाली कराने पर प्रशासन का जमकर विरोध हुआ और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी हुई।
गुरुवार सुबह 6 बजे नर्मद का जलस्तर खतरे के निशान से सवा चार मीटर ऊपर पहुंच गया था। जिसके बाद अपर कलेक्टर रेखा पंकज राठौर और एसडीएम अभयसिंह ओहरिया राजघाट पर रह रहे लोगों को हटाने पहुंचे थे। यहां पांच आश्रम, पांच मंदिर, तीन कुटिया और सात दुकानें हटवाई गई। यहां मौजूद नर्मदा बचाओ आंदोलन और दुकानदारों ने दुकानें खाली कराने का जमकर विरोध भी किया। लोगों का कहना था कि प्लाट दिए, लेकिन 5.80 लाख का पैकेज नहीं मिला है। ऐसे में कैसे चले जाए। हालांकि जो दुकानदार 2017 के बाद यहां बसे से थे, वे स्वेच्छा से दुकान हटाने लगे। यहां मौजूद 104 साल पुराना दत्तात्रेय मंदिर भी खाली कराया गया। मंदिर पुजारी सचिन शुक्ला ने प्रशासन के कहने पर मंदिर तो खाली कर दिया, लेकिन उनका कहना था कि मंदिर का प्लाट दिया गया है मुआवजा नहीं मिला है।
नबआं ने लगाया धमकाकर हटाने का आरोप
प्रशासन द्वारा राजघाट से लोगों को हटाए जाने का जमकर विरोध भी हुआ। लोगों ने एडीएम और एसडीएम को घेर उनके खिलाफ भी नारेबाजी की। नबआं कार्यकर्ताओं का कहना था कि प्रशासन के द्वारा कोई भी चर्चा न करते हुए बड़वानी एसडीएम और तहसीलदार और अन्य अधिकारियों ने पुलिस बल द्वारा राजघाट गांव के विस्थापितों के घरों, दुकानों में घुसकर उनको डरा धमकाकर ट्रैक्टर ट्रॉली में सामान रखकर टीनशेड्स में ले जाया जा रहा है। प्रशासन द्वारा एक बूढ़ी महिला का घर खाली कराया। जबकि उसे घर बनाने के लिए मुख्यमंत्री की घोषणा अनुसार 5 लाख 80 रुपए न देते हुए टीनशेड्स में ले जाया गया और जिन दुकानदारों की दुकानें हटवाई गई उनको भी अभी तक दुकान के लिए भूखंड नहीं दिया गया।
रात में चारों ओर से घिर गया राजघाट
पिछले चार दिनों से नर्मदा का जल स्तर बैक वॉटर से बढ़ता ही जा रहा है। बुधवार से शुरू हुई बारिश के चलते नर्मदा की सहायक नदियों में उफान आया हुआ है। जिसके चलते गुरुवार को नर्मदा का जल स्तर पल-पल कर बढ़ता चला गया। सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक नर्मदा के जल स्तर में एक मीटर की बढ़ोत्तरी हुई। सुबह जहां दत्तात्रेय मंदिर की निचली पेेड़ी पर पानी था, वहीं शाम 6 बजे गर्भग्रह तक पानी पहुंच गया। रात 9 बजे तक राजघाट चारों ओर से पानी से घिर गया। राजघाट जाने वाले मार्ग पर एक किमी दूर स्थित पुलिया पर भी पानी आ गया। रात में यहां आवागमन के लिए बचा एकमात्र रास्ता भी बंद हो गया। जिसके चलते राजघाट आने-जाने के लिए सड़क पर पानी में नाव चलाना पड़ी। वहीं, सुबह ही प्रशासन ने राजघाट की बिजली कटवा दी थी। जिसके चलते रात में यहां अंधेरा पसरा रहा। सत्याग्रह पर बैठे नबआं कार्यकर्ताओं ने बैटरी से लाइट लगाकर रात काटी।
सत्याग्रह स्थल से 15 फीट दूर पानी
नर्मदा घाटी के विस्थापित अपनी मांगों को लेकर राजघाट गांव में सत्याग्रह पर बैठे है। डूब का पानी सत्याग्रह स्थल से मात्र कुछ ही दूरी पर होते हुए भी, न तो प्रशासन से और न ही सरकार की ओर से कोई सत्याग्रहियों से चर्चा के लिए पहुंचे। नबआं के राहुल यादव ने बताया कि सत्याग्रहियों का आग्रह है कि सभी का पुनर्वास नही हुआ है। ऐसे में हमारे घर, दुकानें, जमीनें डुबाना गैर कानूनी है। इसलिए सरदार सरोवर के गेट खोल कर गांवों में पानी भरने से रोकना चाहिए। मप्र सरकार ने गेट खोलने की मांग करते हुए सही वाटर रेगुलेशन की नीति अपनानी चाहिए। रात 8 बजे तक राजघाट पर सत्याग्रह स्थल से मात्र 15 फीट की दूरी पर पानी था। सत्याग्रह पर बैठे आंदोलनकारियों का कहना था कि जब तक सभी का पुनर्वास नहीं होता तब तक बैठे रहेंगे, चाहे डूब ही आ जाए।
शालीनता से बनाए रखे कर्मचारी
नर्मदा नदी में लगातार बढ़ रहे जल स्तर के कारण जिला प्रशासन अधिकारी एवं डूब प्रभावित ग्रामों में पदस्थ टीमों के सदस्यों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। उन्हें निर्देशित किया गया है कि वे ग्रामीणों को लगातार बढ़ रहे जल स्तर की जानकारी देकर डूब क्षेत्र से बाहर जाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते रहे। कलेक्टर अमित तोमर एवं एसपी डीआर तेनीवार ने गुरुवार सुबह कंट्रोल रूम में बाहर से आए पुलिस जवानों एवं महिला पुलिस बल की सदस्यों को संबोधित करते हुए निर्देशित किया कि उनकी ड्यूटी ग्रामों में नियुक्त टीमों के साथ लगाई गई है। वे साथ रहकर बचाव कार्य को अंजाम देंगे। इस दौरान डूब प्रभावितों की मदद के दौरान पूरी शालीनता रखना है एवं पदस्थ मजिस्ट्रेट के निर्देशन एवं उनके आदेशानुसार ही कार्य करना है।
गुरुवार को नर्मदा का जलस्तर
सुबह 6 बजे 127.600 मीटर
दोपहर 12 बजे 128.000 मीटर
शाम 6 बजे 128.600 मीटर
रात 8 बजे 129.200 मीटर
राजघाट पर खतरे का निशान 123.280 मीटर

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