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बड़वानी

कसरावद के लोगों ने कहा हमें डूब से बाहर कर दिया तो फिर क्यों हम खाली करें मकान

छोटी कसरावद में घुसा पानी, पुलिस पहुंची परिवारों को हटाने, लोगों ने कहा, न हमें डूब प्रभावित माना, न हमारा पुनर्वास हुआ, डूब ग्रामों में विस्थापन के लिए घूम रहा अमला, लोग हटने को तैयार नहीं

बड़वानीSep 06, 2019 / 01:11 pm

मनीष अरोड़ा

Sinking of Sardar Sarovar Dam

Sinking of Sardar Sarovar Dam

बड़वानी. सरदार सरोवर बांध की डूब में आ रहे गांवों को खाली कराने के लिए प्रशासन भरसक प्रयास कर रहा है। मुआवजे और पुनर्वास की मांग को लेकर डूब प्रभावित हटने को राजी नहीं है। गुरुवार को ग्राम छोटी कसरावद में डूब में आ रहे मकानों को खाली कराने के लिए पुलिस पहुंची थी, लेकिन डूब प्रभावितों के विरोध के बाद वहां से वापस लौटना पड़ा। डूब प्रभावितों का कहना था, जब हमें डूब में माना ही नहीं तो हम क्यों मकान खाली करे। जब तक हमारा पुनर्वास नहीं हो जाता, तब तक हम यहां से नहीं हटेंगे।
जिला मुख्यायलय से पांच किमी दूर नर्मदा तट पर बसा ग्राम छोटी कसरावद को डूब से बाहर कर दिया गया था। अब बढ़ते जल स्तर के साथ ही यहां गांव में पानी घुसना आरंभ हो गया है। गुरुवार को पांच मकानों तक बैक वाटर पहुंच गया था। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2001-02 में गांव का सर्वे हुआ था। तब यहां 364 मकानों को डूब में माना गया और भूअर्जन की कार्रवाई की गई। वर्ष 2008-09 में हुए दोबारा सर्वे में सिर्फ 25 मकानों को डूब में माना गया और बाकी मकानों को डूब से बाहर कर दिया गया। यहां तक की इनका अवार्ड भी वापस ले लिया गया। अब नर्मदा के बढ़ते जलस्तर से यहां डूब आना शुरू हो गई है। वर्तमान स्थिति में यहां पांच मकानों तक पानी आया है। 136 मीटर के वाटर लेवल पर 30 मकान और डूबेंगे। वहीं, 138 मीटर वाटर लेवल पर पूरा गांव टापू बन जाएगा।
सरकार ने माना 178 गांव डूब में
नर्मदा बचाओ आंदोलन के भागरीथ धनगर, नरेंद्र यादव, रेहमत मंसूरी ने बताया कि मप्र सरकार ने पिछली सरकार के झूठे आंकड़ों में सुधार किया है। सरकार ने माना है कि वर्तमान में 178 गांव डूब में आ रहे हैं। 2017 में तत्कालीन सरकार ने सिर्फ 76 गांवों के 6 हजार लोगों को डूब प्रभावित माना था। इस संख्या को लेकर नबआं ने सरकार को चुनौती दी थी। जिसके बाद अब सरकार ने मान लिया है कि 178 गांवों में प्रभावित निवास कर रहे हैं। प्रभावितों की सही संख्या का निर्धारण आंदोलन के साथ सर्वे कर निर्धारित किया जाएगा। सरकार द्वारा इस तथ्य को स्वीकार किया जाना सच्चाई की जीत है।
डूब का अवसाद सता रहा लोगों को
नबआं कार्यकर्ता महेंद्र तोमर, देवीसिंह तोमर, कमला यादव आदि ने बताया कि बिना पुनर्वास डूब के कारण प्रभावित हुए लोग अपने भविष्य की चिंता को लेकर गहरे अवसाद में हैं। डूब के बावजूद कई प्रभावितों का अपने घरों को छोडऩा मुश्किल हो रहा है। सेमल्दा में नानुराम प्रजापति की केले की खेती और घर दोनों डूब चुके हैं। उन्हें कृषि जमीन की पात्रता है, लेकिन एनवीडीए ने अभी तक जमीन उपलब्ध नहीं करवाई है। इसलिए उन्होंने अपना घर से छोडऩे से इंकार कर दिया है। खापरखेड़ा की रंजना गोरे घर में 3 फीट पानी भरने तक घर में ही रही तथा घर छोडऩे से इंकार कर दिया था। चिखल्दा में अचानक आई डूब के शिकार लोग फूट पड़े थे और पूरे गांव में गमगीन माहौल हो गया था। गुरुवार को खापरखेड़ा के प्रवीण विश्वककर्मा ने पुल से कूद कर आत्महत्या करने की कोशिश थी, लेकिन उन्हें बचा लिया गया।
पाटकर की हालत में सुधार
अनशन खत्म करने के बाद निजी अस्पताल में भर्ती मेधा पाटकर की हालत में तीसरे दिन सुधार नजर आया। वें उठकर बैठीं और मिलने वालों से चर्चा भी की। डॉक्टर्स के अनुसार उन्हें अभी आराम की जरूरत है। वहीं, मेधा पाटकर ने बताया कि पुनर्वास के मुद्दे पर सरकार हमें बात करने जरूर बुला रही हैं, लेकिन लगातार बढ़ते जल स्तर को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे है। तेजी से डूब रहे मकान, टापू बनते गांवों की कोई सुध नहीं ली जा रही है।

घर, दुकान लगी डूबने तो आया आजीविका का संकट, लगाई नदी में छलांग
परेशान था डूब प्रभावित, समझ नहीं आया कुछ तो उठाया आत्महत्या का कदम, नर्मदा में डूबी युवती को खोज रहे क्विक रिस्पांस टीम के होमगार्ड जवानों ने बचाया, मेधा पाटकर ने लगाया आरोप, डूब क्षेत्र में किसी को नहीं दिया आजीविका का साधन
बड़वानी. सरदार सरोवर बांध की डूब में आ रहे गांवों में अब त्रासदियां भी सामने आने लगी है। धार जिले के डूब ग्राम खापरखेड़ा निवासी डूब प्रभावित प्रवीण विश्वकर्मा ने गुरुवार सुबह कसरावद पुल से नर्मदा में कूदकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। नदी में पहले से ही मौजूद होमगार्ड की क्विक रिस्पांस टीम ने तुंरत ही उसे बचाया और डायल 100 वाहन से बड़वानी अस्पताल भेजा। परिजनों ने उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया है। आत्महत्या का कारण डूब के कारण प्रवीण के सामने आजीविका का संकट खड़ा होना बताया जा रहा है।
सरदार सरोवर बांध की डूब में आए ग्राम खापरखेड़ा में नर्मदा का जलस्तर 135 मीटर होने के बाद घरों में पानी घुसना शुरू हो गया है। इसी डूब ग्राम के निवासी प्रवीण विश्वकर्मा और उनके तीन भाईयों की करीब 10 एकड़ जमीन डूबी है। जिसमें दो भाईयों को जमीन के बदले जमीन और दो को 60-60 लाख का मुआवजा मिला है। प्रवीण को जमीन के बदले 60 लाख का मुआवजे में से पूर्व में दिए गए अनुदान में से 3 लाख रुपए काटकर 57 लाख रुपए मिले थे। घर के बदले पुनर्वास स्थल पर प्लाट मिला था। प्रवीण की ग्राम खापरखेड़ा में ही टेलरिंग की दुकान भी है, जिसका मुआवजा उसे नहीं मिला था। पानी आने के बाद प्रवीण और उसके भाईयों का परिवार मकान खाली करने में लगा हुआ था। इस बीच प्रवीण मकान खाली कराना छोड़कर कसरावद पुल पर पहुंचा और वहां से छलांग लगा दी।
छलांग लगाते देख तुरंत पहुंची क्यूआरटी
बुधवार शाम को भी एक किशोरी ने कसरावद पुल से नर्मदा में छलांग लगााई थी। इस किशोरी की तलाश में होमगार्ड की क्यूआरटी नर्मदा में ही गश्त कर रही थी। जैसे ही क्यूआरटी ने ऊपर से एक व्यक्ति को कूदते देखा, तुरंत ही बोट उसी दिशा में दौड़ा दी। प्रवीण के नदी में गिरते ही टीम वहां पहुंच गई और उसे निकाल लिया। पानी में गिरने से प्रवीण की हालत खराब थी। जिसके बाद उसे बड़वानी के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
नहीं मिल रही थी कहीं भी जमीन
प्रवीण को भले ही अपनी 2 एकड़ जमीन का मुआवजा 60 लाख रुपए मिला था, लेकिन इतने रुपए में पुनर्वास स्थल के आसपास कहीं भी दो एकड़ जमीन नहीं मिल रही थी। जमीन के भाव ज्यादा होने से वो जमीन नहीं खरीद पा रहा था। दूसरे पुनर्वास स्थल पर जहां उसे प्लाट मिला था, वहां भी आसपास कोई रहने वाला नहीं था। उसकी कमाई का जरिया सिर्फ टेलरिंग की दुकान थी। गांव खाली होने के बाद उसे अपने परिवार के पेट पालने की चिंता सताने लगी थी। प्रवीण ने बताया कि वो इसके चलते परेशान था, इसलिए उसने ये कदम उठाया था।
किसी को नहीं मिला दुकान का मुआवजा
इसी निजी अस्पताल में भर्ती मेधा पाटकर ने प्रवीण के हाल जाने और उसे दिलासा दिया। मेधा पाटकर ने बताया कि पूरे डूब क्षेत्र में किसी को भी आजीविका के साधन उपलब्ध नहीं कराए गए है। सिर्फ निसरपुर में ही दुकान के बदले दुकान दी गई हैं, बाकी किसी भी डूब ग्राम में डूबी हुई दुकानों का न तो मुआवजा दिया गया, न दुकान दी गई। इसके कारण डूब क्षेत्र में प्रभावितों के सामने आजीविका का संकट बना हुआ है।

इस मानसून सत्र में अभी तक हो गई है औसत से 164.2 मिमी अधिक बारिश
इस मानसून सत्र में अभी तक जिले में औसत रूप से 910.5 मिमी वर्षा हो चुकी है, जो औसत वर्षा 746.3 मिमी से 164.2 मिमी अधिक है। वर्तमान में हो रही बारिश के मद्देनजर यह आकड़ा और ऊपर जाने की संभावना है।
पिछले 24 घंटे में सर्वाधिक बारिश हुई राजपुर में
पिछले 24 घंटे में सर्वाधिक 90.0 मिमी बारिश राजपुर में हुई है। जबकि इसी दौरान जिले में औसत रूप से 19.3 मिमी वर्षा हुई है। इस दौरान वर्षा मापी केंद्र बड़वानी में 2.2 मिमी, पाटी में 76.0 मिमी, ठीकरी में 2.3 मिमी, पानसेमल में 3.0 मिमी बारिश रेकार्ड हुई है। जबकि सेंधवा, वरला, निवाली में इस दौरान कोई बारिश रेकार्ड नहीं हुई है।
एक वर्षा मापी केंद्र अभी भी पीछे है अपनी औसत वर्षा से
भू-अभिलेख अधीक्षक मुकेश मालवीय ने बताया कि जिले में हो रही अच्छी बारिश के बावजूद 9 वर्षा कापी केंद्र में से एक वर्षा मापी केंद्र राजपुर उस क्षेत्र में होने वाली औसत 763.5 मिमी बारिश से अभी भी 14.5 मिमी पीछे है। जबकि 8 बारिश मापी केंद्र बड़वानी, पाटी, ठीकरी, सेंधवा, चाचरियापाटी, वरला, पानसेमल, निवाली में अभी तक हुई बारिश उस क्षेत्र में होने वाली औसत बारिश से अधिक है।
फिर उठी कसरावद पुल पर जाली लगाने की मांग
कसरावद पुल पर से कूदकर आत्महत्या का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को दो महिलाओं द्वारा कसरावद पुल से आत्महत्या का प्रयास करने व एक किशोरी द्वारा नदी में छलांग लगाने की घटना के बाद गुरुवार को एक डूब प्रभावित ने भी कूद कर आत्महत्या का प्रयास किया। दो दिन में हुई लगातार घटनाओं के चलते एक बार फिर कसरावद पुल पर जाली लगाने की मांग उठने लगी है।
मां नर्मदा आदिवासी समाजसेवा संगठन ने कसरावद पुल पर जाली लगाने की मांग को पुन: दोहराया है। संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बताया कि इस साल जनवरी में कसरावद पुल पर जाली लगाने की मांग की थी। पिछले 9 माह में यहां से कूदकर आत्महत्या करने की 10 घटनाएं हो चुकी है। जिसके चलते कई परिवार अनाथ हो चुके है। इस संबंध में मानव अधिकार आयोग को भी पत्र लिखा था, जिस पर आयोग ने बड़वानी कलेक्टर से जवाब मांगा था। अब इस मामले में जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी लिया जाएगा। गुप्ता ने बताया कि इस संबंध में सांसद गजेंद्र पटेल, विधायक प्रेमसिंह पटेल से भी चर्चा की जाएगी। इसके बाद कसरावद पुल पर जाली लगाने की मांग को लेकर आंदोलन खड़ा किया जाएगा। इस मामले में बड़वानी कलेक्टर अमित तोमर ने बताया कि मामला दो जिलों से संबंधित हैं। आधा पुल बड़वानी और आधा पुल धार जिले में आता है। पुल पर जाली लगाने की कार्रवाई सेतू निगम दोनों जिलों के प्रशासन के सहयोग से कर सकता है। इस मामले में कलेक्टर ने धार जिले के कलेक्टर से चर्चा करने की बात भी कही।

कसरावद पुल से विहंगम रूप में नजर आ रही नर्मदा
सरदार सरोवर बांध की बैक वाटर से नर्मदा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जिसके कारण नर्मदा का विहंगम रूप भी दिखने लगा है। गुरुवार रात 8 बजे नर्मदा का जलस्तर राजघाट पर 135.650 मीटर तक पहुंच गया। वहीं, ऊपरी बांधों बरगी, इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर परियोजना से भी पानी छोड़ा जा रहा है। जिसके चलते सरदार सरोवर बांध में पानी की आवक साढ़े पांच लाख क्यूसेक तक हो रही है। बांध का जलस्तर भी बढ़ता जा रहा है।
फैक्ट फाइल…
135.75 मीटर हुआ सरदार सरोवर बांध का जलस्तर रात 8 बजे तक
20 गेट खोले सरदार सरोवर के 3.5 मीटर तक गुरुवार रात 8 बजे तक
5.67 लाख क्यूसेक पानी की आवक हो रही सरदार सरोवर बांध में
5.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा सरदार सरोवर बांध से
135.650 मीटर हुआ राजघाट पर नर्मदा का जलस्तर

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