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बस्सी

annapurna milk scheme : बिना जांच विधार्थी पी रहे 42 लाख का दूध

‘अन्नपूर्णा दूध योजना’: दूध की शुद्धता की नहीं हो रही जांच

बस्सीMar 08, 2020 / 04:30 pm

vinod sharma

annapurna milk scheme : बिना जांच विधार्थी पी रहे 42 लाख का दूध

annapurna milk scheme : बिना जांच विधार्थी पी रहे 42 लाख का दूध

आंधी (जयपुर). सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बालक-बालिकाओं के शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के लिए सरकार की ओर से पोष्टिक आहार के तौर पर ‘अन्नपूर्णा दूध योजना’ के तहत दूध पिलाया जा रहा है। बच्चों को पिलाया जाने वाला दूध कितना शुद्ध है इसकी जांच सुविधा नहीं है। आए दिन मिलावटी दूध के मामले सामने आ रहे है। ऐसे में बिना जांच के पिलाया जा रहा दूध कहीं बच्चों की सेहत पर भारी ना पड़ जाए।
जमवारामगढ़ ब्लॉक क्षेत्र में संचालित कुल 317 विद्यालयों में दूध पर सरकार प्रतिमाह करीब 41 लाख 70 हजार रुपए की राशी खर्च कर रही है। स्कूलों में पिलाए जाने वाले दूध की खरीद गांवों संचालित सहकारी दुग्ध उत्पादक समितियों से की जाती है लेकिन अधिकांश समितियों पर भी जांच सुविधा के अभाव में दूध की खरीद से पूर्व जांच नहीं की जाती। ऐसे में डर है कहीं मिलावटी एवं सिंथेटिक दूध से बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ तो नहीं हो रहा है।
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दे रहे चीनी रहित गरम दूध…
जमवारामगढ़ ब्लॉक में योजना में कुल 316 स्कूल एवं 1 मदरसे शामिल है। जिसमें से 156 प्राइमरी और 161 स्कूल सैकण्डरी सेटअप है। इनमें कक्षा 1 से 5 तक कुल 17040 व कक्षा 6 से 8 तक 9756 बच्चों को मिड-डे मील के तहत दूध दिया जा रहा है। कक्षा 1 से 5 तक 150 एमएल और कक्षा 6 से 8 तक को 200 एमएल चीनी रहित गरम दूध दिया जाता है। विद्यार्थियों की संख्या अनुसार ब्लॉक के विद्यालयों में करीब 4508 लीटर दूध की प्रतिदिन खरीद बच्चों को पिलाने के लिए की जा रही है।
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खरीद दर कम होना प्रमुख कारण…
विद्यार्थियों को दिए जाने वाले दूध में वसा की मात्रा कम रखी जाती है। दूध खरीद के लिए गाय के दूध का पहली प्राथमिकता दी गई। गाय का दूध नहीं मिलने पर भैंस का दूध खरीदा जाता है। दूध खरीद के लिए ग्रामीण इलाकों में 3 फै ट वाले दूध की खरीद रेट 37 रुपए प्रति किलो है जो बाजार भाव से कम है। वर्तमान में सहकारी समितियों पर दूध बिक्री दर 50 से 55 रुपए प्रतिकिलो है। दूध की गुणवत्ता की जांच सुविधा की कमी के साथ-साथ मिलाए जाने वाले पानी की शुद्धता की कमी से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
जांच के नाम पर महज खानापूर्ति…
स्कूलों में मिलने वाले मिड-डे मील एवं दूध की जांच के लिए शिक्षा विभाग द्वारा प्रति सत्र 10 दिवसीय अभियान चलाया जाता है। इस दौरान प्रशानिक एवं चिकित्सा विभाग के अधिकारी मिड-डे मील की गुणवत्ता के साथ-साथ दूध की गुणवत्ता की जांच करते है। ज्यादातर अभियानों में जांचकर्ता प्रशासनिक एवं चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के बजाय शिक्षा विभाग के आसपास के पीईईओ व वरिष्ठ शिक्षक ही शामिल किए जाते है जो जांच के नाम पर तहत खानापूर्ति कर लौट आते है। अभी फ रवरी के अन्तिम सप्ताह में चले अभियान में शिक्षा विभाग से जुड़े कार्मिक ही पहुंचे थे।
जांच उपकरणों की कमी…
स्कूलों में दूध की सप्लाई करने वाली दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों एवं स्कूलों में वितरित किए जाने वाले दूध की जांच के लिए जिम्मेदार शिक्षा एवं चिकित्त्सा विभाग के अधिकारियों पास मिलावटी एवं सिंथेटिक दूध की जांच के लिए उपयोग में आने वाले उपकरण उपलब्ध नहीं है। जिससे जांच नहीं हो पाती है। जांच के नाम पर अधिकांश समय लेक्टोमीटर से दूध क ी फैट व पानी की मात्रा की ही जांच की जाती है।
शुरू से ही विवादों में रही योजना—
जुलाई 2018 से शुरू की हुई ‘अन्नपूर्णा दूध योजनाÓ दूध खरीद की कम दर एवं शुद्धता के मापदण्ड के साथ-साथ चीनी रहित होने से विवादों में रही है। विभाग द्वारा दूध की खरीद रेट 35 रुपए प्रतिकिलो निर्धारित की थी। जो बाजार भाव से दर काफ ी कम दर रहने से दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों ने दूध सप्लाई से इनकार कर दिया था। बाद में दूध में फै ट की मात्रा कम कर योजना को पटरी पर लाया गया।
इनका कहना है…
स्कूलों में मिड-डे मील के तहत वितरित दूध की समय-समय पर जांच की जाती है। दूध की गुणवत्ता की जांच सुविधा ब्लॉक में नहीं है। शुद्धता की जांच जिलास्तरीय कमेटी द्वारा की जाती है और टीम में चिकित्सा विभाग के अधिकारी होते है।
-सागरमल बुनकर, सीबीईईओ, जमवारामगढ़
स्कूलों में वितरित किए जाने वाले दूध की शुद्धता की जांच चिकित्सा विभाग के सीएमएचओ के निर्देशन में की जाती है। किस ब्लॉक में कब-कब जांच हुई इसकी जानकारी नहीं है।
-के.एस. करोल, खाध निरीक्षक
फैक्ट फाइल…..
-316 विद्यालय व 1 मदरसा जमवारामगढ़ ब्लॉक में—-26 हजार 796 विद्यार्थी योजना में शामिल-41 लाख 70 हजार रुपए प्रतिमाह दूध खर्च (औसतन 25 दिन)—-4508 लीटर दूध प्रतिदिन खरीद-150 एमएल दूध (कक्षा 1 से 5)—200 एमएल दूध (कक्षा 6 से 8)

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