पिछले करीब एक माह से गौशाला से जुड़े लोग यहां प्रतिदिन दीयों के निर्माण में जुटे हुए है। वर्तमान में गौशाला में गौमय दीपक, अगरबत्ती व लकड़ी का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर प्रशासन का कहना है की भविष्य में गौशाला में ओर भी गौमय वस्तुओं के निर्माण की योजना है। गौशाला द्वारा शुरू किए जा रहे इस कार्य से क्षेत्र की अन्य गौशालाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
कैसे बनते है दीये मंदिर महंत महावीरदास त्यागी ने हमें बताया की दीये बनाने के लिए सर्वप्रथम गोबर को पुरी तरह से सुखाया जाता है, सुखाने के बाद इसे बारीक कुटकर छान लिया जाता है। इसके बाद इसमें मात्रा के अनुसार करीब एक किलो ग्राम गोबर में 200 ग्राम प्रिमिक्स अथवा ग्वारगम मिलाया जाता है। सबको मिलाने के बाद ड्राई की सहायता से दीये तैयार किये जाते है। दीये बनाने की ड्राई और प्रिमिक्स नागपुर से मंगवाई गई है।
ग्राम सरंपच मालाराम गुर्जर ने बताया की आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल मिलेगा, गौसंवर्धन में भी सहायता मिलेगी। लोगों में स्थानीय चीजों के प्रति जागृति आएगी, साथ ही प्रदुषण को कम करने में भी सहायता मिलेगी।
गौ सेवक रतनलाल शर्मा लम्बे समय से गौ सेवा से जुड़े समाजसेवी रतनालाल शर्मा ने गौमय दिपकों को घर-घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। शर्मा ने बताया की मंदिर प्रशासन के सहयोग से दीपकों के भरी गाडिय़ों को हर गांव, हर वार्ड तक पहुंचाया जाएगा, ताकि लोगों को सहुलियत के साथ दीपक उपलब्ध हो सकें। इसके लिए मंदिर प्रशासन से बातचीत की जा रही है।