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पहले दीवार बनाई, अब कर रहे फेंसिंग

बहाव क्षेत्र में खड़ी कर दी बाधा : जमवारामगढ़ बांध कैचमेंट एरिया का मामला, पटवार घर से 250 मीटर चल रहा कार्य

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encroachment in jamwaramgarh dam

पहले दीवार बनाई, अब कर रहे फेंसिंग

गठवाड़ी. वर्षों तक जयपुर शहर की प्यास बुझाने वाला रामगढ़ बांध खुद पानी को तरस रहा है। इसका का मुख्य कारण बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण व एनिकट का निर्माण होना है। बहाव क्षेत्र की सतत निगरानी के लिए गठित रामगढ़ बांध मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश भी बांध के कैचमेंट एरिया में निर्माण कार्य जारी है। ऐसा ही मामला मंगलवार को देखने को मिला। राजपुरवास ताला से गुजर रहे नाले में अतिक्रमियों ने पहले तो पक्की दीवार खड़ी कर दी और अब तारों से फेंसिंग की जा रही है। तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी नरेन्द्र कुमार मीणा ने दीवार निर्माण को अवैध माना था। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता ने भी बहाव क्षेत्र का दौरा कर रिपोर्ट से उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया था, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि राजपुरवास ताला पटवार घर से महज 250 मीटर दूरी पर हो रहे तार फेंसिंग कार्य में राजस्वकर्मियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। कार्यस्थल जयपुर प्रतापगढ़ स्टेट हाइवे किनारे होने के बाद भी राजस्वकर्मी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। मंगलवार दोपहर तार फेंसिंग की जुगत कर रहे लोगों की शिकायत जमवारामगढ़ तहसीलदार ज्ञानचन्द जैमन से की थी, लेकिन शाम तक किसी भी अधिकारी के नहीं पहुंचने से कार्य जारी रहा। ग्रामीणों ने बहाव क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण को रुकवा अतिक्रमियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
पत्रिका ने उठाया था मामला
गौरतलब है कि रामगढ़ बांध बहाव क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण को लेकर राजस्थान पत्रिका ने सिलसिलेवार प्रमुखता से खबरें प्रकाशित कर मामले को उजागर किया था। पत्रिका में तीन अगस्त को तार फेंसिंग वाले स्थान पर हो रहे पक्के निर्माण को लेकर पहले बनाई दीवार, अब कर रहे पक्का निर्माण शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर जाकर निर्माण कार्य को ध्वस्त करा दिया था। इसके अलावा 16 जुलाई को कैचमेंट एरिया में फसल की बुवाई, 30 अप्रेल को हाइकोर्ट की मनाही फिर भी अवैध खनन शीर्षक से खबरें प्रकाशित कर प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही को उजागर किया था।
इनका कहना है...
मामले की जानकारी नहीं है। मौके पर कर्मचारियों को भेजकर कार्य को रुकवाता हूं।
ज्ञानचन्द जैमन, तहसीलदार जमवारामगढ