मुख्य आरोपी सुनील कुमार तीन जनों को साथ लेकर सर्किट हाउस पहुंचा। खुद को सीबीआई अफसर बताया और बांद्रा मुम्बई में पदस्थापित बताया। उसने पहचान पत्र पेश किया, जो सीबीआई भारत सरकार एसीपी (सीबीआई) पद का नई दिल्ली से जारी प्रतीत हो रहा था। सर्किट हाउस स्टाफ ने एक बार तो रूम बुक कर लिया, लेकिन संदेह जताते हुए पुलिस को सूचना दी। हाथीपोल थानाधिकारी ने उच्चाधिकारियों से बात की तो पता चला कि सीबीआई की ओर से आईडी कार्ड जारी नहीं किया जाता। ऐसे में टीम पहुंची और चारों को दबोच लिया।
![युवक IPS नहीं बन पाया, फिर भी अफसरों सा रूतबा...सर्किट हाउस में बुक करवाया रूम, पुलिस ने दबोचा](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/02/01/fake_ips__8704148-m.jpg)
आरंभिक पूछताछ में मुख्य आरोपी सुनील ने बताया कि वह काफी समय से आईपीएस बनने के प्रयास में प्रतियोगी परीक्षाएं दे रहा है। उसकी सगाई भी हो गई थी, लेकिन सगाई नहीं टूटे, इसके लिए उसने यह झूठ फैलाया कि 2021 की परीक्षा में उसका चयन हो गया। इस झूठ को सच साबित करने के प्रयास में वह अपने होने वाले साले और दो दोस्तों को उदयपुर घुमाने लाया और पकड़ा गया।