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Bahurupia Art- यहां की पहचान बहरूपियां कलां हो रही विलुप्त

पर्याप्त आमदनी नहीं होने से कम होती जा रही बहरूपियां कलां, अन्य तरह से आजीविका कमा रहे है बहरूपियां कलां के पारखी

बस्सीOct 30, 2020 / 10:56 pm

Gourishankar Jodha

Bahurupia Art- यहां की पहचान बहरूपियां कलां हो रही विलुप्त

Bahurupia Art- यहां की पहचान बहरूपियां कलां हो रही विलुप्त

मनोहरपुर। वर्तमान आधुनिकता के दौर बहरूपियां कला विलुप्त होती नजर आ रही है। इस कारण कलाकारों को जीवन यापन करने में भी मशक्कत करना पड़ रही है। एक समय था जब इस कला के कदरदानों की कमी नहीं थी और कलाकार प्रदर्शन कर अच्छी कमाई भी करते थे।
कस्बे में लंबे समय के बाद में एक बहरूपियां कलाकार को कला का प्रदर्शन करते हुए देखकर बच्चो, बड़ो का मन हर्षित हो गया। आजकल बच्चे टीवी, मोबाइल पर विभिन्न माध्यमों से अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न काल्पनिक पात्रों को देखते है, किंतु जैसे ही उन्होंने वास्तविक रूप में बहरूपियां कलां के इस पात्र को देखा तो मन में अचरज हुआ।
अब पेट पालना भी मुश्किल
उन्होंने अपने बुजुर्गो से पूछ लिया कि क्या ये वास्तव में ऐसा ही है? तब बुजुर्गो ने बच्चो की जिज्ञासा शांत करते हुए कहा कि ये बहरूपियां (भांड ) जाति के है। ये ही कभी शिव पार्वती, राम सीता, हनुमान, अक्रुर सिंह, जिन्न, आदि का पात्र करके अपनी आजीविका कमाते है। पहले इनकी आजीविका आसानी से चल जाती थी, किंतु आधुनिकता की होड में इनकी कलां पिछड़ गई है। स्थिति यह है कि बहरूपियों को अपनी मेहनत के अनुसार भेंट नहीं मिल पाती है। इसके चलते-चलते ये कलां धीरे-धीरे कम होती जा रही है।

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