पहले मां शैलपुत्री, दूसरी मां ब्रह्मचारिणी, तीसरी चन्द्रघटा, चौथी कृष्माण्डा, पांचवीं स्कन्धमाता, छठवीं मां कात्यायनी, सातवीं मां कालरात्रि और आठवीं मां महागौरी है। इनके अलावा मंदिर के गर्भगृह में मां काली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की मूर्ति को एक साथ प्रतिष्ठापित किया गया है।
इसके अलावा रामदरबार, शिव परिवार, हनुमानजी और भैंरुजी की मूर्तियां भी हैं। मंदिर पर 61 फीट ऊंचागुंबद बना हुआ है। यहां मां दुर्गा, मां काली और भैंरूजी के आगे अखंड ज्योत जलती रहती है। नवरात्रों में हजारों की संख्या में भक्त इन ज्योत के दर्शन करने आते हैं। पुजारी विद्याधर शर्मा ने बताया कि वर्ष 2004-05 में मंदिर की स्थापना हुई है। इसके निर्माण में महज सात माह और सात दिन लगे थे।