तमगा आदर्श का, सुविधाए गौण इस विद्यालय को शिक्षा विभाग ने आदर्श का भी तमगा दे रखा है। इसके बावजूद विद्यालय सुविधाओं को तरस रहा है। प्रधानाचार्य बद्रीप्रसाद रैगर ने बताया कि गांव में वर्ष 1953 से संचालित इस सरकारी विद्यालय को वर्ष 1976 में उच्च प्राथमिक में क्रमोन्नत किया गया। इसके बाद वर्ष 2008 में विद्यालय को माध्यमिक और 2015 में उच्च माध्यमिक का दर्जा दिया गया है। विद्यालय में बीते सत्र में 228 विद्यार्थियों का नामांकन था। वर्तमान में यहां 240 विद्यार्थियों का नामांकन है। विद्यालय में पर्याप्त पानी की व्यवस्था भी नहीं है।
10 कमरों में से 7 में टपकता है पानी विद्यालय में करीब 14 कमरे है। जिनमे 4 कमरे कार्यालय, कम्प्यूटर लैब, स्टोर एवं रसोई के रूप काम आते है। इधर, कक्षा-कक्षों के लिए 10 कमरे है, जिनमे से 7 कमरों की छत से पानी टपकता है। दीवारों में सीलन आ रही है और प्लास्टर भी झड़ रहा है। जिससे विद्यार्थियों को बैठने में खासी परेशानी हो रही है।
प्रधानाचार्य के मुताबिक पीडब्ल्यूडी के जेईएन ने 2014 में ही भवन को असुरक्षित घोषित कर दिया था, इससे लगता है की विभाग को हादसे का इंतजार है। यहां खेल मैदान की एक दीवार भी कच्ची मिट्टी से बनी हुई है। जिससे अन्दर पशु घुस जाते हैं। खेल मैदान में पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है।
इनका कहना है- पीडब्ल्यूडी विभाग ने भवन को नकारा घोषित कर रखा है। भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। सुविधाओं के अभाव में परेशानी आ रही है। इसके बारे में विभागीय अधिकारियों का पत्र लिखा जा चुका है।—-बद्रीप्रसाद रैगर, प्रधानाचार्य, राआउमावि, बिदारा, शाहपुरा।