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चांद की कक्षा में चंद्रयान को प्रवेश कराना इसरो के वैज्ञानिकों के लिए एक काफी बड़ी चुनौती थी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष के सिवन इस सफलता को लेकर मंगलवार की सुबह 11 बजे प्रेस कांफ्रेंस करेंगे, जिसमें वह इस मिशन को लेकर चर्चा करेंगे.
चंद्रयान-2 ने लॉन्च होने के बाद पहले 23 दिनों तक पृथ्वी के चक्कर लगाए थे. इसके बाद चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने में इसे 6 दिन लगे. अब चंद्रयान चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद 13 दिन तक चक्कर लगाएगा. सात सितंबर तक चंद्रयान चांद की सतह पर पहले से निर्धारित जगह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.
वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-2 को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराना इसरो के लिए बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इस सतह पर ना तो हवा चलती है और गुरुत्वाकर्षण बल भी हर जगह अलग-अलग होता है.
चंद्रयान-2 ने लॉन्च होने के बाद पहले 23 दिनों तक पृथ्वी के चक्कर लगाए थे. इसके बाद चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने में इसे 6 दिन लगे. अब चंद्रयान चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद 13 दिन तक चक्कर लगाएगा. सात सितंबर तक चंद्रयान चांद की सतह पर पहले से निर्धारित जगह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.
वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-2 को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराना इसरो के लिए बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इस सतह पर ना तो हवा चलती है और गुरुत्वाकर्षण बल भी हर जगह अलग-अलग होता है.
सिवन ने इससे पहले सोमवार को कहा था कि चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में आने के बाद चांद की चार कक्षाओं से होकर गुजरेगा. इसके बाद चंद्रयान-2 चांद की अंतिम कक्षा में दक्षिणी ध्रुव पर करीब 100 किलोमीटर से ऊपर गुजरेगा. इसके बाद दो सितंबर को यान का विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा. विक्रम चार दिन तक 30 गुणा 100 किमी के दायरे में चांद का चक्कर लगाएगा. फिर चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव में सतह पर 7 सितंबर को अपना कदम रखेगा.
Updated on:
21 Aug 2019 07:04 am
Published on:
21 Aug 2019 06:27 am
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