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ब्यावर

यही रहा हाल तो मिट जाएगा इसका नामों निशान

सिमटता गया दायरा, समाती गई गंदगी

ब्यावरMay 20, 2019 / 06:47 pm

tarun kashyap

यही रहा हाल तो मिट जाएगा इसका नामों निशान

यही रहा हाल तो मिट जाएगा इसका नामों निशान


ब्यावर. शहर के एकमात्र बिचड़ली तालाब का दायरा सिमटता जा रहा है। तालाब के आव क्षेत्र में आए दिन निर्माण हो रहा है। तालाब की भराव क्षमता दिनोंदिन कम होती जा रही है। सेदरिया तालाब से जुडऩे वाले बिचड़ली तालाब का आव क्षेत्र पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है। बरसाती पानी की आवक की जगह अब शहर की नालियों का पानी तालाब में पहुंच रहा है। इससे सिमटते तालाब में समाहित हो रही गंदगी से पानी मटमैला व कचरा बढ़ता जा रहा है। इस तालाब को संवारने को लेकर नगर परिषद प्रशासन कतई गंभीर नहीं है। इतिहास गवाह है कि मेवाड़ी गेट से शुुरु होने वाले परकोटे के सहारे-सहारे बिचड़ली तालाब था। परकोटे को जगह-जगह से धराशायी कर दिया गया है। इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। अमृत योजना में बिचड़ली तालाब को शामिल किए जाने से इसकी स्थिति सुधरने की आशा जगी थी। लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते इसको बचाने के लिए कोई जतन नहीं किए गए। राजपूताना पब्लिक वक्र्स डिपार्टमेंट, माउंट आबू डिवीजन की 1916 की रिपोर्ट में बिचड़ली तालाब में 3.45 वर्ग मील एवं सेदरिया तालाब में 1.15 वर्ग मील जल आवक क्षेत्र बताया गया है। जबकि हाल में इन दोनों तालाबों पर नजर डालें तो स्थिति उलट है। आबादी बढऩे के साथ ही बिचड़ली तालाब के चारों ओर निर्माणहो गए। इससे नालों का गंदा पानी भी इसमें ही समाहित होने लगा है। इसके चलते कई कॉलोनियों में पानी भरने की समस्या खड़ी हो गई है।
3.45 वर्ग मील जल आवक क्षेत्र
राजपूताना पब्लिक वक्र्स डिपार्टमेंट माउंट आबू डिवीजन की 1916 की रिपोर्ट के मुताबिक बिचड़ली तालाब के निर्माण में नौ हजार एक सौ चौदह रुपए की लागत आई। सर्वे ऑफ इंडिया विभाग की ओर से 1969-70में किए गए सर्वे में 3.45 वर्ग मील जल आवक क्षेत्र बताया गया। अब जल आवक क्षेत्र सिमट गया है। इस तालाब में आने वाले अधिकांश नाले खुर्द-बुर्द हो गए है।
यह है बहाव क्षेत्र
बिचड़ली तालाब का आव क्षेत्र के अलावा सेदरिया तालाब से जुड़ाव है। सेदरिया तालाब भरने के बाद पानी बिचड़ली तालाब में आता है। सेदरिया तालाब का आव क्षेत्र भी समय के साथ अवरुद्ध हो गया। इसके चलते सालों से सेदरिया तालाब भी नहीं भरा। सेदरिया तालाब से आने वाला नाला बिचड़ली तालाब में आता है। इसका भी दायरा कम हो गया। अब बरसात का पानी सेदरिया से बिचड़ली तालाब तक आए अरसा बीत गया। बिचड़ली तालाब भरने के बाद यह पानी पुल वाली रपट से होता हुआ छावनी नदी होते हुए मकरेड़ा तालाब में जाता है।
यह है प्रावधान
सिंचाई विभाग के अनुसार तालाब के पेटे में काश्त की जा सकती है। उसमें पक्का निर्माण नहीं बनाया जा सकता। इसके अलावा नाले व नदी में पानी को बाधित करने वाले निर्माण नहीं किए जा सकते।
सौन्दर्य बढ़ा सकता है बिचड़ली
गुजरात के अहमदाबाद शहर के काकरिया तालाब की तर्ज पर बिचड़ली की विकसित किया जा सकता है। ऐसे विकसित किया जाए तो तो शहर के सौन्दर्य में चार चांद लग सकते है। शहर के एकमात्र तालाब शहरवासियों को घूमने व बच्चों के मनोरंजन की दृष्टि से अच्छी पहल हो सकती है। इससे नगर परिषद को राजस्व की आय में भी इजाफा हो सकता है।

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