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कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को महागठबंधन की नैय्या में नहीं मिली जगह, अब दोनों के बीच बढ़ने लगी दोस्ती

विशेष संवाददाता प्रियरंजन भारती की रिपोर्ट…
 

बेगूसरायMar 30, 2019 / 03:18 pm

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kanhaiya kumar and papu yadav file photo

kanhaiya kumar and papu yadav file photo

(पटना): कहते हैं, दुश्मन का दुश्मन, दोस्त। बिहार में इन दिनों लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसी ही दोस्ती सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार और कांग्रेस के उम्मीदवार बनने से रह गए मधेपुरा के निवर्तमान सांसद पप्पू यादव में दिख रही है। कन्हैया कुमार इन दिनों सार्वजनिक तौर पर पप्पू यादव की खूब तारीफ कर रहे हैं। दोनों की दोस्ती के निहितार्थ भी बखूबी तलाशे जा रहे हैं।

 

कन्हैया कुमार बेगूसराय से सीपीआई के उम्मीदवार बनाए गए हैं। सीपीआई की कोशिशों के बावजूद कन्हैया कुमार के लिए महागठबंधन के मुख्य दल आरजेडी ने यह सीट नहीं छोड़ी। जबकि माना जा रहा था कि कन्हैया महागठबंधन के तयशुदा उम्मीदवार होंगे। इसकी मुख्य वज़ह विधानसभा में विपक्ष के नेता और लालू यादव के छोटे पुत्र तेजस्वी यादव बताए जा रहे हैं। दरअसल तेजस्वी तेजतर्रार कन्हैया को अपने आगे रोड़ा नहीं बनने देना चाहते। बिहार की विपक्षी राजनीति में कन्हैया के फैलाव के साथ ही तेजस्वी की एकल वर्चस्व की ज़मीन पर ग्रहण लगने का खतरा सामने नज़र आ रहा था। लिहाजा वाम दलों को महागठबंधन से दूर ही रखा गया। एक आरा की सीट सिर्फ भाकपा माले के लिए छोड़ दी गई।

 

पप्पू यादव से भी लालू परिवार की नाराज़गी

पप्पू यादव ने आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव जीता। बाद में उन्होंने अलग जन अधिकार पार्टी बना ली। वह लालू यादव समेत उनके पुत्रों पर लगातार हमलावर बने रहे। मधेपुरा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार बनने की पप्पू यादव की हर कोशिश को इसी नाराज़गी की वज़ह से लालू परिवार ने ध्वस्त कर दिया। वह पूर्णिया सीट भी चाहकर कांग्रेस या आरजेडी से नहीं ले पाए। कांग्रेस ने मौजूदा सांसद होने के कारण उनकी पत्नी रंजीता रंजन को बेशक सहरसा से उम्मीदवार घोषित कर दिया, पर पप्पू पैदल ही रह गए। अब वह अपनी पार्टी के टिकट पर पूर्णिया से ही चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। आरजेडी ने उनकी मधेपुरा सीट से शरद यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया है।

 

सीपीएम विधायक अजित सरकार हत्याकांड में नामज़द हैं पप्पू

कन्हैया कुमार की ओर से पप्पू यादव की तारीफ के राजनीतिक निहितार्थ खंगालने का दौर शुरू हो गया है। कन्हैया कुमार पप्पू को अपना दोस्त बता रहे हैं और सार्वजनिक रूप से यह कहते नहीं थक रहे कि यह दोस्ती चुनाव बाद भी चलती रहेगी, जबकि यह सर्वविदित है कि पप्पू यादव 14 जून 1998 को पूर्णिया के सीपीएम विधायक अजित सरकार की हत्या में पांच अन्य के साथ नामज़द अभियुक्त हैं। हालांकि 17 मई 2013 को पटना हाईकोर्ट ने पप्पू यादव को इस केस के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन वामदलों की नज़र में पप्पू लगातार कांटे की तरह चुभते हैं। ऐसे में कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की यह दोस्ती सियासत की दिलचस्प कहानी का प्लॉट तो बना ही रही है।

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