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बेतुल

शिकायतकर्ताओं को बयान लेने बुलाया जा रहा है तो शिकायत से ही मुकर रहे

आचार संहिता लगने के बाद ऑनलाइन दर्ज हुई 137 शिकायतें, 90 फीसदी शिकायतें शासकीय कर्मचारियों से जुड़ी, पांच ही सिद्ध हो सकी

बेतुलNov 11, 2018 / 02:58 pm

sandeep nayak

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बैतूल. चुनावी प्रचार-प्रसार अभियान शुरू होने के साथ ही झूठी एवं फर्जी शिकवा-शिकायतों का दौर भी शुरू हो गया है। चुनाव संबंधी शिकायतों के निराकरण के लिए निर्वाचन आयोग इस बार ऑफलाइन सहित ऑनलाइन सेवा भी शुरू कर दी है। अब तक एक सैकड़ा से अधिक शिकायतें दोनों में दर्ज हो चुकी हैं। इनमें से कई शिकायतें झूठी एवं फर्जी होना बताई जा रही है,क्योंकि जब शिकायतकर्ता को बयान लेने के लिए बुलाया जा रहा है तो वह शिकायत दर्ज कराने की बात से साफ मुकर जा रहा है। शिकायत में दर्ज हस्ताक्षर को भी फर्जी बताया जा रहा है। ऐसे में शिकायत विभाग द्वारा शिकायतों को निरस्त कर दिया जा रहा है।
90 फीसदी शिकायत शासकीय कर्मचारियों से जुड़ी
शिकायत प्रकोष्ठ शाखा में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन जो शिकायत दर्ज हुई है उनमें से ९० फीसदी शिकायतें शासकीय कर्मचारियों से जुड़ी होना बताई जाती है। कर्मचारियों की ज्यादातर शिकायतें पार्टी विशेष का चुनाव प्रचार किए जाने संबंधी है। शिकायत शाखा की माने तो जो शिकायत आती है उनकी विधिवत रूप से जांच कराई जाती है लेकिन अभी तक जितनी भी शिकायतें शासकीय कर्मचारियों को संबंध में आई है उसमें से अधिकांश सिद्ध नहीं हो सकी है। लोगों द्वारा द्वेषवश शिकायतें दर्ज कराई जाना पाया जाता है।
सर्वाधिक ऑनलाइन शिकायतें दर्ज
पहली बार निर्वाचन आयोग ने ऑफलाइन शिकायत करने के अलावा ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराए जाने की सुविधा भी प्रदान की है। जिसके चलते ऑनलाइन शिकायतों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है।शिकायत शाखा के मुताबिक अभी तक ७९ शिकायतें ऑनलाइन दर्ज हो चुकी हैं जबकि ऑफलाइन शिकायतें ५८ दर्ज की गई है। इस प्रकार कुल १३७ शिकायतें दर्ज हुई है। इनमें से ऑफलाइन की ९ शिकायतें पेडिंग होना बताई जाती है जबकि ऑनलाइन की ५ शिकायतें वर्किंग में है। शिकायत शाखा में २४ घंटे अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है जो प्रत्येक शिकायतों पर स्वयं निगरानी रख रहे हैं।
पांच शिकायतें सिद्ध होने पर हुई कार्रवाई
ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दर्ज हुई एक सैकड़ा से अधिक शिकायतों में सिर्फ ६ शिकायतें ही सिद्ध होना पाई गई है। जिनमें निर्वाचन विभाग द्वारा कार्रवाई भी की गई है। इनमें धामनगांव और कोथलकुंड के सचिव एवं सरपंच के विरूद्ध शिकायत होने पर उन्हें निलंबन सहित पद से पृथक करने की कार्रवाई की गई है। चिचोली में गैस एजेंसी संचालक पर एवं नगरपालिका आमला के एक कर्मचारी पर भी कार्रवाई होना बताया जाता है। जबकि शेष शिकायतें झूठी एवं फर्जी होने पर उन्हें निरस्त कर दिया गया है। शिकायत शाखा की माने तो अब शिकायतों का ग्राफ और तेजी से बढ़ेगा क्योंकि नामांकन प्रक्रिया हो चुकी हैं और पार्टियों का प्रचार अभियान भी शुरू हो चुका हैं।
शिकायत के बाद बयान से मुकरे
शिकायत शाखा में दर्ज की जाने की शिकायतों के निराकरण के लिए जब संबंधित शिकायतकर्ता को बयान लेने के लिए बुलाया जाता है तो शिकायतकर्ता शिकायत किए जाने की बात से साफ मुकर जाता है।विभाग की माने तो शिकायकर्ताओं का कहना पड़ता है कि उसके द्वारा कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई और न ही शिकायती आवेदन पर उनके हस्ताक्षर है। ऐसे में विभाग के लिए इन शिकायतों का निराकरण किया जाना सिरदर्द साबित हो रहा है। वहीं कागजी कार्रवाई भी करने के लिए काफी दौड़भाग करना पड़ती है। चूंकि फर्जी शिकायतों के मामले में शिकायतकर्ता के विरूद्ध कार्रवाई करने का कोई प्रावधान नहीं है इसलिए ऐसी शिकायतें बढ़ती जा रही है।
इनका कहना
– झूठी एवं फर्जी शिकायतों के मामले में निर्वाचन आयोग के कार्रवाई को लेकर क्या दिशा-निर्देश है यह देखना होगा। मेरे ख्याल से कार्रवाई को लेकर कोई निर्देश तो नहीं आए हैं।
कुमार शानू, उप जिला निर्वाचन अधिकारी बैतूल।

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