बताया जाता है कि बुधवार को गांव में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी। ग्रामीण जब शव यात्रा लेकर गांव के मुक्तिधाम को निकले और रेल पटरी के करीब पहुंचते ही मालगाड़ी आकर रुक गई । ग्रामीण ने बताया कि मालगाड़ी करीब आधे घंटे तक खड़ी रही। हीं मालगाड़ी खवड़े रहने के कारण लगभग ग्रामीण शवयात्रा को कंधे पर लिए आधा घंटे तक खड़े रहे। जब आधे घंटे बाद मालगाड़ी चली तब जाकर शवयात्रा मुक्तिधाम के लिए आगे बढ़ पाई। कहा जाता है कि मौत के बाद अंतिम यात्रा शांति से और पूरे सम्मान के साथ निकाली जानी चाहिए, लेकिन चिचंडा गांव में जिन लोगों की मौत हो जाती है, उनकी अंतिम यात्रा को ट्रेने बीच में ही रोक देती है, शवयात्रा में शामिल लोगों को कई बार आधा-आधा घंटा अर्थी को अपने कंधों पर रखना पडता है, बुधवार भी गांव में एक महिला की मौत के बाद उनकी शवयात्रा को रेल्वे ट्रेक पर आधा घंटा रोका गया।
ग्रामीणों ने बताया कि पूरा गांव इस समस्या से पीडि़त है और गांव की यह सबसे बड़ी समस्या है। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश और तेज धूप में शवयात्रा में शामिल लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, ग्रामीणों ने बताया कि उनके द्वारा इस समस्या को लेकर विभिन्न जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी समस्या का कोई समधान नहीं हुआ है, ग्रामीणों ने बताया कि उनके द्वारा यहां अंडर ब्रिज बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक अंडर ब्रिज के कोई अते-पते नहीं है।