उन्होंने यह बातें रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या जाने से पहले भदोही में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि 1990 में उनके दोनों भाइयों की शहादत हुई थी। उन्होंने सबसे पहले गुम्बद पर भगवा फहराया था ऐसे में माना जाता है कि इसलिए टार करते हुए उन्हें गोली मारी गयी। लेकिन राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट से आये फैसले से उन्हें जीवन की सबसे बड़ी खुशी मिली है। आज जब भी राममंदिर का जिक्र आता है तो देश उनके भाइयों की शहादत को याद करता है यह सुखद है। भाइयों को गवाने का दुख है लेकिन उनकी शहादत के बाद परिवार ने संकल्प लिया कि राम मंदिर के लिए जब भी कारसेवा होगी तो परिवार उसमे भाग लेगा। माँ और बाबू जी के साथ उंसके बाद भी कारसेवा में भाग लिया गया।
सरकार की तरफ से किसी मांग को लेकर पत्रकारों द्वारा पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि वो सरकार से निवेदन करती हैं कि हमारा परिवार हमेशा मंदिर निर्माण के लिए किए गए कार्यो में शामिल रहा ऐसे में जब मंदिर निर्माण होने जा रहा है तो उनकी भी भूमिका सुनिश्चित करते हुए संगठन या ट्रस्ट की तरफ से कोई कार्य करने का आदेश मिले तो वो अपना कार्य करना चाहती हैं। इस दौरान भदोही के भाजपा विधायक रवींद्रनाथ त्रिपाठी भी उपस्थित रहे। उन्होंने ओर्णिमा कोठारी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया।