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भरतपुर

सीएम के गढ़ में जिला प्रमुख की ताजपोशी पर संकट!

-सीएम की नजरें, यूआईटी अध्यक्ष से भी साधी जाएगी राजनीति

भरतपुरJun 11, 2024 / 08:15 pm

Meghshyam Parashar

प्रचंड गर्मी के बीच राजनीतिक गलियारों में इन दिनों तूफान से पहले की शांति नजर आ रही है। खास तौर से सत्ताधारी दल भाजपा में। लोकसभा चुनाव परिणाम अब भरतपुर की राजनीति की नई दिशा तय करेंगे। भरतपुर का होने के नाते मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नजरें भी यहां की राजनीति पर है। विधानसभा चुनाव के बाद खाली हुई जिला प्रमुख की सीट और रिक्त चल रही यूआईटी अध्यक्ष की सीट पर सबकी नजरें टिक गई हैं।
आचार संहिता खत्म होने से पहले ही जिलाप्रमुख पद के लिए दौड़ शुरू हो गई। जिलाप्रमुख रहे जगत सिंह ने नदबई विधानसभा से चुनाव लड़ा और वह विजयी हुए। ऐसे में यह पद अब खाली है। अब जिलाप्रमुख पद के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसका कार्यक्रम भी तय हो गया है। अंदरखाने कुछ ‘नेता’ इस कुर्सी को पाने के लिए गठजोड़ बिठाते नजर आ रहे हैं। इसके लिए गुटबाजी भी शुरू हो गई है। हालांकि इस पद पर भरतपुर के बड़े नेताओं के साथ खुद मुख्यमंत्री की भी नजर है। वहीं यूआईटी अध्यक्ष पद के लिए भी अंदरखाने मशक्कत चल रही है। विधानसभा चुनाव में भाजपा का ‘बेड़ा’ पार कराने का दावा करने वाले अपना बायोडेटा आलाकमान तक पहुंचाकर ‘इनाम’ पाने की फिराक में हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणामों ने सीएम की भृकुटि तान दी है। अब पार्टी अपने हिसाब से कर्मठ और धरातल पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने के मूढ में नजर आ रही है। आशंका यह भी है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए जी-जान से नहीं जुटने वाले लोग भी अब पार्टी के निशाने पर होंगे।
अधिकारियों पर दवाब बनाने वाले भी नजर में
सूत्रों की मानें तो भाजपा में कुछ पदाधिकारी इन दिनों अंदर-अंदर खूब सक्रिय हैं, जो विभिन्न कारोबारों से जुड़े हुए हैं। कुछ पदाधिकारी अधिकारियों पर सीएम का खास होने की धौंस जमा रहे हैं। यह धौंस अपना खुद का काम निकलवाने के लिए की जा रही है। ऐसे कुछ लोग सीएम की निगाह में आ भी गए हैं। समय आने पर ऐसे लोग जल्द ही किनारे हो सकते हैं। हालांकि सीएम अभी केन्द्र की सत्ता का रुख देख रहे हैं। इसके बाद यहां फोकस हो सकता है।
करवट लेगी राजनीति
लोकसभा का चुनाव परिणाम जिले की राजनीति की नई दिशा और दशा तय करेगा। मुख्यमंत्री के गृह जिले की सीट कांग्रेस के खाते में चली गई है। यदि यह भाजपा के पक्ष में जाती तो सब कुछ अच्छा होने की आस थी, लेकिन यहां से कांग्रेस की सीट निकल गई है। ऐसे में भाजपा में संगठन से लेकर पदाधिकारियों का पत्ता साफ होना तय माना जा रहा है। वजह, यह सीट सीएम की प्रतिष्ठा से सीधी जुड़ी थी और उन्होंने इस सीट पर चुनावों के समय खूब फोकस भी किया था। सीट की हार-जीत का गणित लेकर जिलाप्रमुख और यूआईटी अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल ‘नेता’ सीएम के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं।

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