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भरतपुर

मौत मचा गई तांडव, तब खुली विभाग की तंद्रा

– गुंडवा-मुरवारा में मौसमी बीमारियों से मौत, अब विभाग डाल रहा एंटी लार्वा

भरतपुरOct 16, 2021 / 02:55 pm

Meghshyam Parashar

मौत मचा गई तांडव, तब खुली विभाग की तंद्रा

मौत मचा गई तांडव, तब खुली विभाग की तंद्रा

भरतपुर . डेंगू के डंक और मलेरिया की मार से जिले का हर घर आहत नजर आ रहा है। डेंगू-मलेरिया अब जानलेवा हो चले हैं। सेवर क्षेत्र के गांव गुंडवा एवं मुरवारा में डेंगू-मलेरिया से हर घर में बीमार हैं। दोनों गांवों करीब आधा दर्जन की मौसमी बीमारियों के चलते मौत हो चुकी है। बच्चों की जिंदगी की डोर टूटने के बाद चिकित्सा विभाग की तंद्रा अब टूटी है। खास बात यह है कि यह क्षेत्र चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग के विधानसभा में आते हैं। उनके दखल के बाद भी राहत में देरी विभाग के तमाम इंतजामों पर सवाल उठा रही है। अब विभाग ने यहां मेडिकल टीमें भेजकर एंटी लार्वा और दवा देने की कार्रवाई की है।
बारिश का दौर थोड़ा थमने के बाद से ही मौसमी बीमारियां हावी हो गईं, लेकिन विभाग में लगे दो सीएमएचओ जनता की फिक्र छोड़ अपनी कुर्सी को बचाने में लगे रहे। इसका नतीजा यह रहा कि मौसमी बीमारियों ने घर-घर पैर पसार लिए। बारिश के एकदम बाद विभाग के अलर्ट मोड पर नहीं आने के कारण मच्छर जनित बीमारियां हावी हो गईं। खास तौर से डेंगू और मलेरिया ने लोगों को अपनी चपेट में लिया। साथ ही चिकनगुनिया ने भी लोगों को बीमार करना शुरू कर दिया। हाल ही में दो गांवों में मौत के बाद विभाग की नींद खुली है। ऐसे में अब आनन-फानन में एंटी लार्वा और बीमारों का घर-घर उपचार करने की कवायद शुरू की गई है। खास बात यह है कि एंटी लार्वा की कार्रवाई का विभाग ने खाका तो पहले खींच लिया, लेकिन धरातल पर यह नजर कम ही नजर आया। ऐसे में लोग मौसमी बीमारियों की चपेट में आते चले गए।
लापरवाही छिपाने को प्रिंसीपल का तुगलकी फरमान

डेंगू-मलेरिया के बीच बिगड़ी व्यवस्थाओं को बेहतर करने की बजाय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य कमियों को छिपाने के प्रयास करते नजर आ रहे हैं। कॉलेज प्राचार्य की ओर से तुगलगी फरमान जारी कर कहा गया है कि अस्पताल में किसी को भी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी नहीं करने दी जाए। साथ ही मौसमी बीमारियों संबंधी जानकारी देने पर भी रोक लगाई है। हालांकि यह पहला मामला नहीं है कि जब मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की ओर से खुद की लापरवाही व कमियों को छिपाने के लिए ऐसा किया गया है। वह पूर्व में भी खुद की कार्य कुशलता व लापरवाही को जनता से छिपाने के लिए ऐसा कर चुके हैं। यही कारण है कि प्रिंसिपल के ध्यान नहीं देने के कारण अस्पतालों की स्थिति खराब हो रही है। जबकि प्रिंसिपल सिर्फ और सिर्फ हिटलरशाही का रवैया अपनाए हुए हैं। इससे पहले भी उनके कई आदेश सियासी गलियारों के साथ विभाग में भी चर्चा का विषय बन चुके हैं, परंतु ऐसे हरेक आदेश को उन्हें बाद में बैकफुट पर आकर वापस लेना पड़ा है। इसलिए एक बार फिर से प्रिंसिपल का यह आदेश उनकी कार्य कुशलता पर सवाल खड़ा कर रहा है। क्योंकि पूर्व में भी मेडिकल कॉलेज में कुछ दिन पहले बड़ा विवाद हो चुका है। इसमें भी प्रिंसिपल की लापरवाही सामने आई थी। यह मामला भी इसलिए भी बड़ा है कि सिर्फ राजस्थान पत्रिका ने मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में मरीजों की पीड़ा को उजागर किया था।
झोलाछाप लील रहे मरीजों की जिंदगी

मौसमी बीमारियों के बीच झोलाछाप इलाज के नाम पर मरीजों की जिंदगी का सौदा करते नजर आ रहे हैं, लेकिन विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है। जानकारी में आया है कि गुंडवा में बच्चों को पहले किसी झोलाछाप को ही दिखाया गया था। इसके बाद बच्चों की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें अन्यत्र इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे झोलाछाप चिकित्सक मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं, लेकिन विभाग की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नजर नहीं आ रही है।
बुखार से तप रहे गांव

मौसमी बीमारियों के बीच गांव के गांव बुखार से तपे नजर आ रहे हैं। हालांंकि गुंडवा गांव में बच्चों की मौत की पुष्टि विभाग डेंगू से नहीं कर रहा है, लेकिन लोगों का दावा है कि गांव में डेंगू-मलेरिया के बहुतेरे केस हैं। ग्रामीणों का दावा है कि बच्चों की मौत डेंगू से ही हुई है। आलम यह है कि गुंडवा और मुरवारा गांव में बुखार में तपे नजर आ रहे हैं। इन गांवों में हर घर में बीमार हैं। लोगों का कहना है कि बीमारी एकदम से हावी नहीं हुई, लेकिन इससे पहले विभाग ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।
बेड पर लगे गद्दे, चादर भी बिछीं

जनाना अस्पताल के कुपोषण वार्ड में लगाए गए बेडों पर अब गद्दे बिछ गए हैं। साथ ही चादर भी बिछा दी गई हैं। ऐसे में यहां मरीज एवं उनके परिजनों को राहत मिली है। इसको लेकर पत्रिका ने अभियान के रूप में लगातार खबरें की। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने यहां व्यवस्थाओं को बेहतर करने का प्रयास किया है। शुक्रवार को बेडों पर गद्दे और चादर बिछी नजर आईं।
… और भटकते रहे मरीज

मौसमी बीमारियों के बीच पड़ रहीं सरकारी छुट्टी भी मरीजों की मुश्किल की वजह बन रही हैं। शुक्रवार को दशहरा की छुट्टी के कारण चिकित्सक 10 बजे तक ही यहां बैठे। इसके लिए मरीजों की जांच सिर्फ 10 बजे तक ही हो गई। इसके बाद मरीज अन्य निजी अस्पतालों की शरण लेते नजर आए। अस्पताल में छुट्टी वाले दिन सुबह 10 बजे तक एवं अन्य दिनों में 1 बजे तक जांच होती है। इसके बाद मरीजों को निजी लैबों का सहारा लेना पड़ रहा है। खास बात यह है कि छुट्टी वाले दिन मरीज की जांच होती है और उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो चिकित्सक नहीं होने के कारण उसे अगले दिन सुबह तक चिकित्सक के आने का इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद भी उसे छुट्टी मिल पाती है।
यहां बिगड़ी व्यवस्था तो निजी में आई बाढ़

जनाना अस्पताल में बिगड़ी व्यवस्थाओं का खामियाजा मरीज और उनके परिजन खूब भुगत रहे हैं। बेडों की कमी, आउटडोर में एक ही चिकित्सक बैठने, फटेहाल गद्दे और मैली चादरों के कारण मरीज यहां से मुंह मोड़ रह हैं। इसका फायदा निजी अस्पतालों को हो रहा है। बिगड़ी व्यवस्थाओं के बीच मरीज और उनके परिजन यहां से पलायन करने को विवश हो रहे हैं। इसके बाद निजी अस्पताल संचालक चांदी कूटते नजर आ रहे हैं।
30 बच्चे बीमार, पोखर बन रही आफत

क्षेत्र के गांव गुंडवा में मौसमी बीमारियों की बाढ़ सी है। यहां करीब 25 से 30 बच्चे बीमार हैं। लोग बताते हैं कि यह सभी डेंगू से पीडि़त हैं। करीब आठ से दस बच्चे एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि अन्य लोग अपनी सुविधा के अनुसार अन्य जगह ले गए हैं। लोगों ने बताया कि गांव के बीचोंबीच बनी पोखर में भरा पानी सालों से सड़ रहा है, लेकिन इसकी किसी ने सुध नहीं ली है। लोगों का कहना है कि पानी का निकास नहीं होने के कारण इसमें कीटाणु पनप रहे हैं। साथ ही कुछ लोगों ने इस पर अतिक्रमण कर लिया है। पानी का निकास नहीं होने के कारण यहां बेतहाशा मच्छर हैं। ऐसे में लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
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