वहीं विजय विद्रोही प्रतापगढ़ ने ‘भ्रूण हत्यारे बनकर भिखारी घूमते हैं मंाग कर भी पेट भरण नहीं होता, जो बेशर्म मार देते हैं कन्या को गर्भ में…Ó सुनाकर लोगों से बेटी बचाने का आह्वान किया। अलवर से आए विनीत चौहान ने ‘ जिन लोगों ने सविंधान को रद्दी अखवार बना डाला, कश्मीरी पत्थर बाजी का बाजार बना डाला, उनकी अक्ल ठिकाने लादी सुनाई। मोटा भाई ने ‘सुनाकर दर्शकों की वाहवाही लूटी। सरदार मंजीत सिंह फरीदाबाद ने ‘हे जलती आग सीने में नहीं डरता सिकन्दर से, मगर बाप बेटी का डरा रहता हूं अन्दर से…Ó सुनाकर बेटी सुरक्षा के प्रति चिन्ता व्यक्त की।
चित्तौडगढ़़ से शंकर सुखवाल ने ‘ मां शब्द के साथ शिक्षा शुरू होती हैं मां ही पहला गुरू होती है…Ó सुनाकर लोगों में मां के प्रति ममता जागृत करने का संदेश दिया। श्रवण दान शून्य जोधपुर ने ‘जमाने का इस तरह बदलना मुझको भाता नहीं, कोई हमीद मां के लिए चिमटा लाता नहीं, दुनिया दारी की तालीम से हमने ये क्या सीखा शून्य, दौलत कमाना आया, लेकिन संस्कार कमाना आता नहीं… सुनाकर लोगों को संस्कार की परिभाषा समझाई।
सपना सोनी दौसा ने ‘ मेरे मन की धरा पर मधुर भाव से चित्र अपना सलौना बना दीजिए, जितनी गजले कहीे मेरे वास्ते उनके कुछ शेर तो गुन गुना दीजिए…, सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। योगिता चौहान इटावा ने ‘इस धरती से उस अम्बर तक घर-घर अलख जगानी हैं, जान हथेली पर रखकर हमको गाय बचानी हैंÓ सुनाकर गौ माता को बचाने का भाव जगाया।