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भरतपुर

सोशल मीडिया: रामायण में से निकल रहे हनुमान बाबा के बाल

सच्चाई यह है: कभी पढ़ते समय खुद के बाल गिरे थे, अब मिल रहे-सीकरी, कामां व नगर इलाके में अफवाह के बाद बालों की पूजा तक करने में जुटे लोग, पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया सच

भरतपुरMar 30, 2020 / 07:26 pm

Meghshyam Parashar

सोशल मीडिया: रामायण में से निकल रहे हनुमान बाबा के बाल

सोशल मीडिया: रामायण में से निकल रहे हनुमान बाबा के बाल

भरतपुर. देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है, उसी तेजी से भय का माहौल भी बन रहा है। ऐसे वक्त में लोग जब अपने ईष्ट देवता को याद कर रहे हैं, कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आई हैं जो अंधविश्वास पैदा करने वाली हैं। जैसे रामायण के बालकांड से बाल निकलना। लोग इसे हनुमानजी का बाल मानकर पूजा कर रहे हैं। जबकि, हकीकत यह है कि रामायण से जो बाल निकले हैं, वे भगवान के नहीं बल्कि उस इंसान के हैं जिसने कभी इस पुस्तक को पड़ा था। श्रद्धा और आस्था अपनी जगह है, लेकिन ऐसे वक्त में लोगों को ऐसे किसी भी दावे को पहले परखना चाहिए। इसी तरह शिवपुराण की एक तस्वीर भी तेजी से वायरल की जा रही है जिसे लेकर यह दावा किया जा रहा है कि इसमें कोरोना का जिक्र पहले ही कर दिया गया था। हमने इसकी भी पड़ताल की। पंडितों से बात करने पर पता चला कि पूरे शिवपुराण में ऐसा कोई दोहा नहीं मिला जैसा वायरल तस्वीर में है। पंडितों का कहना है कि मौजूदा हालातों को देखते हुए किसी ने शिवपुराण के नाम से खुद का लिखा हुआ दोहा वायरल किया है। पं. मनु मुदगल कहते हैं, रामायण का पाठ ज्यादातर बुजुर्ग करते हैं। उम्र बढऩे के साथ बाल भी ज्यादा झडऩे लगते हैं। एक सामान्य व्यक्ति के भी बाल रोज झड़ते हैं। इसीलिए ये किसी भगवान के नहीं, बल्कि उस इंसान के बाल हैं जो नियमित रूप से रामायण पढ़ रहे हैं या कभी पड़ा था। लोगों को ऐसे किसी भी अंधविश्वास में पडऩे से बचना चाहिए।
उफ…आधी रात को डोडा की चाय पीना

मेवात की एक ऑडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। इसमें दो महिला मेवाती भाषा में आपस में बात कर रही है। एक महिला दूसरी से कह रही है कि आधी रात को उठकर अदरक-गुड़, डोडा की चाय पियो और कोरोना छूमंतर हो जाएगा। कुरान में बाल का कनेक्शन भी निकाला जा चुका है। जिला वक्फ के मुंशी खां ने कहा कि गुड़-अदरक सेहत के लिए ठीक है, लेकिन इसका कोरोना से कोई कनेक्शन नहीं है। जहां तक कुरान से बाल निकलने की बात है तो लोगों को फेक न्यूज पर विश्वास नहीं करना चाहिए। अखबारों पर पूरा विश्वास करना चाहिए। वहीं बहुतों का यह भी दावा है कि रामायण से निकले बाल को गंगाजल या पानी में 24 घंटे डुबाकर रखें, फिर उस पानी को पिएं तो कोरोना नहीं होगा। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो इसे अपने भगवान कमरे में अन्य प्रतिमाओं के साथ रखकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
जागरुकता फैलाएं न कि अंधविश्वास

पं. राममोहन शर्मा ने बताया कि आज पूरा विश्व कोरोना का दंश झेल रहा है। ऐसे वक्त में लोगों के बीच जागरुकता फैलानी जरूरी है, न कि अंधविश्वास फैलाना। बाल का कोरोना से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें क्योंकि यही कोरोना से बचाव का उपाय है। जहां तक इलाज की बात है तो लोगों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि अब तक इसकी कोई दवा नहीं बनी है। बचाव ही उपाय है।

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