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भिलाई

हाइट मात्र दो फीट, लोगों ने उड़ाया जमकर मजाक, भगवान ने पैर नहीं दिए तो दोनों हाथों के सहारे जीत लिया दो गोल्ड मैडल

जॉबी ने बताया कि वे 25 साल से आम्र्स रेसलिंग (Arm wrestling) में हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान उन्हें 10 बार से ज्यादा वल्र्ड चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने का मौका मिला। (Bhilai news)

भिलाईJun 23, 2019 / 10:50 am

Dakshi Sahu

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हाइट मात्र दो फीट, लोगों ने उड़ाया जमकर मजाक, भगवान ने पैर नहीं दिए तो दोनों हाथों के सहारे जीत लिया दो गोल्ड मैडल

भिलाई. हाइट मात्र दो फीट..पर हौसले इतने बुलंद कि अच्छे-अच्छे लोग उनके सामने बौने नजर आएं। कमर के नीचे से उनके पैर नहीं है। पर उनकी मजबूत भुजाएं ऐसी कि लोग देखते रह जाए। केरला के जॉबी मैथ्यू जब शनिवार दोपहर सेक्टर 1 के नेहरू कल्चर हाउस पहुंचे तो हर कोई उनके साथ सेल्फी ले रहा था, आखिर ले भी क्यों न, वो रियल हीरो जो हैं। शुक्रवार को उन्होंने प्रतियोगिता (Arm wrestling) में दो गोल्ड मैडल जीते। उनकी पॉजीटिव एनर्जी और चेहरे की मुस्कान को देख हर कोई पहली मुलाकात में ही इनका कायल हो जाता है।(Bhilai news)
विकलांगता शरीर से नहीं दिमाग से होती है
इनका मानना है कि विकलांगता शरीर से नहीं दिमाग से होती है वे सामान्य खिलाडिय़ों साथ भी खेलते हैं और बड़ी आसानी से हराते भी हैं। वे अब तक तीन बार वल्र्ड चैंपियन रह चुके हैं साथ ही 10 बार से अधिक उन्होंने विश्व पंजा कुश्ती (Arm wrestling) में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। भिलाई में उन्होंने दो गोल्ड मेडल जीत कर रोमानिया में होने वाले 2019 के विश्व पंजा कुश्ती में जाने वाली भारतीय टीम में अपनी जगह सुनिश्चित कर ली है।
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25 साल से आम्र्स रेसलिंग (Arm wrestling)
जॉबी ने बताया कि वे 25 साल से आम्र्स रेसलिंग में हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान उन्हें 10 बार से ज्यादा वल्र्ड चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने का मौका मिला। जिसमें 2005 में जापान 2008 में स्पेन और 2009 में इजिप्ट में हुई वल्र्ड चैंपियनशिप बने। वे कहते हैं कि 25 साल पहले जब उन्होंने पंजा कुश्ती खेलना शुरू किया तो कई लोगों ने उनका मजाक भी बनाया पर उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को हमेशा ध्यान में रखा।
हौसले किसी से कम
जॉबी का मानना है कि विकलांगता लोगों की सोच में है वह शरीर से विकलांग जरूर है पर उनके हौसलों से वे किसी के कम नहीं। जॉबी केवल डिसेबल कैटेगरी में नहीं खेलते बल्कि जनरल कैटेगरी में भी सामान्य खिलाडिय़ों को पछाड़ते हैं। वे बताते हैं कि उनके इस खेल को उनकी कंपनी भारत पेट्रोलियम भी काफी सपोर्ट करती है। वे इस कंपनी में मैनेजर है और कंपनी हमेशा उन्हें आगे बढऩे में मदद करती है।
पंजा कुश्ती में बेहतर मौके
जॉबी का कहना है कि पंजाब कुश्ती ने डिसेबल खिलाडिय़ों को नई पहचान दी है । इस गेम को अब पैरा ओलंपिक गेम में भी शामिल कर लिया गया है। जिसके बाद खिलाडिय़ों को आगे बढऩे के बेहतर मौके मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकलांगता कोई अभिशाप नहीं है, पर इसे कमजोरी मानने की बजाए इसे ताकत बनाएं तो यह हमें अलग पहचान दे देती है। (Bhilai news)
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