गोविंदा चौहान की शिकायत पर संभाग कार्यालय ने निगम आयुक्त से जवाब मांगा। निगम आयुक्त ने ४ अक्टूबर २०१७ को जवाब दिया। इसके बाद सालभर तक मामले की जांच की गई। 5 मई को संभागायुक्त के हस्ताक्षर से १२ पार्षदों को नगर पालिक निगम अधिनियम १९५६ की धारा-१९(१) के तहत नोटिस भेजा।
निगम में नेता प्रतिपक्ष के चेंबर को लेकर तात्कालीन निगम आयुक्त जीएस ताम्रकार से विवाद हुआ था। १५ मार्च २०१६ को तत्कालीन महापौर परिषद के १२ सदस्य नेता प्रतिपक्ष के चेंबर आवंटन और खर्च के संबंध में आयुक्त से शिकायत करने गए। तब वहां विवाद की स्थिति बन गई। आयुक्त ताम्रकार ने १६ मार्च को सुपेला थाने में १२ एमआईसी सदस्यों के खिलाफ लिखित में शिकायत की।
ये कैसे साक्ष्य जो पुलिस को नहीं मिले लेकिन आयुक्त ने खोज निकाले
पुलिस ने केस में खात्मा लगाया : सुपेला पुलिस साक्ष्य के अभाव में केस को दो पहले ही खात्मा कर चुकी है। सुपेला थाना प्रभारी ने साक्ष्य के अभाव में ६ मई २०१६ को प्रकरण को खात्मा करने का उल्लेख किया है। पार्षद सत्येन्द्र बंजारे ने इस मामले की सूचना के अधिकार के तहत जानकारी चाही थी। जवाब में थाना प्रभारी ने प्रकरण को ३२/१६ के तहत चाक करने की जानकारी दी है।
संभागायुक्त की ओर से पार्षदों को जारी नोटिस में यह कहा गया है कि नगर पालिक निगम भिलाई के आयुक्त से ४ अक्टूबर 2017 के पत्र के संबंध में २४ अप्रेल २०१८ को प्रत्र प्राप्त हुआ है। जिसमें आपके विरूद्ध बर्खास्तगी की कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। उक्त आधार पर संभाग दुर्ग के न्यायालय में २९०-ब-१२१ (२०१७-१८) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।