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भिलाई

रजा फायर वक्र्स पर पहले से चार मामले अब फिर घटिया चारकोल से हुआ विस्फोट

महमरा के रजा फायर वक्र्स इस हादसे में गंभीर लापरवाही बरती गई। एक्सपर्ट ने बताया कि बारूद बनाने के लिए घटिया चारकोल का इस्तेमाल कर रहे थे।

भिलाईApr 06, 2019 / 05:22 pm

Bhuwan Sahu

patrika

रजा फायर वक्र्स पर पहले से चार मामले अब फिर घटिया चारकोल से हुआ विस्फोट

दुर्ग . महमरा के रजा फायर वक्र्स में गंभीर हादसे के पीछे लापरवाही सामने आई है। फोरेंसिक एक्सपर्ट की जांच में मालूम चला है कि बारूद बनाने में घटिया चारकोल का इस्तेमाल किया जा रहा था। चारकोल खुरदरा और कं कड़ युक्त होने के कारण पोटेशियम नाइट्रेट के संपर्क में आने से चिंगारी उठी और विस्फोट हुआ। फोरेसिंक एक्सपर्ट ने बारूद और बारुद तैयार करने रखे केमिकल का सैंपल जब्त किया है। जिसे जांच के लिए फोरेंसिक लैंब भेजा जाएगा। वहीं विस्फोटक भंडारण नियंत्रक की टीम की जांच में खुलासा हुआ कि पटाखा निर्माण के लिए जो लाइसेंस दिया गया है उससे दोगुनी क्षमता के पटाखे यहां तैयार किए जा रहे थे।
घटना की जांच करने फोरेसिंक एक्सपर्ट अनुपमा मेश्राम शुक्रवार को महमरा स्थिति रजा फायर वर्कस पहुंची। इनके अलावा विस्फोटक भंडारण उपनियंत्रक की टीम भी रायपुर से पहुंची थी। अधिकारी रामेश्वर बोरकर ने दो घंटे से अधिक समय पर फैक्ट्री का जायजा लिया। इस दौरान भंडारण और निर्माण व्यवस्था की जांच की। हालाकि उन्होंने जांच में क्या पाया इसका खुलासा नहीं किया है। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि जांच में फैक्ट्री संचालक से दस्तावेज मांगे गए हैं।
यह पहली घटना नहीं

रजा फायर वक्र्स में यह पहली घटना नहीं है। पदं्रह वर्षों के अंतराल में यह चौथी घटना है। लापरवाही और सुरक्षा को ताक पर रख ग्रामीण महिलाओं से काम लेने वाले जिम्मेदार पटाखा व्यापारी को पुलिस ने अब तक गिरफ्तार नहीं किया है और न ही एफआइआर की धारा बढ़ाई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विवेचना जारी है। फोरेसिंक विभाग की टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। शव पंचनामा की कार्रवाही व पोस्टमार्टम होने के बाद वे एफआईअआर में धाराओं को जोड़ेंगे। पोस्टमार्टम शनिवार को किया जाएगा।
फोरेंसिक रिपोर्ट क्या कहती है

फोरेंसिक एक्सपर्ट अनुपमा मेश्राम के अनुसार पटाखा के लिए बत्ती बनाने समय हादसा हुआ। सूत की रस्सी मेंं पोटिशियम नाइट्रेट व चारकोल का मिश्रण चढ़ाया जाता है। सुखाने के बाद पटाखे में उस घोल चढ़े सूत को बत्ती के रूप में लगाया जाता है। बत्ती को स्पार्क करने से वह धीरे-धीरे पटाखा के अंदर भरे बारूद तक पहुंचता है, और विस्फोट करता है। मिश्रण तैयार करने घटिया चारकोल का उपयोग किया जा रहा था। चारकोल खुरदरा और कं कड़ युक्त होने के कारण पोटेशियम नाइट्रेट के संपर्कमें आने से चिंगारी उठी और विस्फोट हुआ।
रजा फायर वक्र्स के खिलाफ दर्ज हैं 4 मामले
एक
ग्रामीणों के मुताबिक २००५ में पटाखा तैयार करते समय विस्फोट हुआ था। हालांकि इस घटना में फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को मामूली चोंटे आई थी। रजा फायर वर्कस के संचालन ने घायलों को मामूली राशि देकर मामले को स्थानीय स्तर में दबा दिया था।
दो
गुरुवार को जिस कमरे में विस्फोट हुआ था उसी कमरे में २००७ में भी विस्फोट हुआ था। तब महमरा निवासी कुमारी ठाकुर (१७) की मौत हो गई। खास बात यह है कि युवती की मौत पर मुआवजा नहीं मिलने पर पीडि़त परिवार को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।
तीन
फैक्ट्री संचालित करने के लिए केवल १०० किलो बारुद का लाइसेंस लिया गया है। २०१० में पुलिस ने दबिश देकर एक क्विंटल से अधिक बारूद जब्त की थी। महमरा स्थित फैक्ट्री में अवैध रूप से रखी बारूद वाला कमरा अभी तक सील है। मामला विचाराधीन है।
चार
चौथी घटना गुरुवार को पटाखों के लिए बारूद बनाते समय हुई। इसमें राही निषाद समेत भुनेश्वरी निषाद (४०), दुरगी निषाद (४०) व मती निषाद (३५) को गंभीर हालत में सेक्टर नौ अस्पताल में भर्ती कराया गया। राही की मौत हो गई, बाकी तीन का इलाज चल रहा है।
सख्त है कानून

1884 विस्फोटक अधिनियम में विस्फोटक पदार्थ निर्माण, कब्जा, प्रयोग, विक्रय, परिवहन, आयात करने के लिए लाइसेंस लेना होता है। संबंधित ऐसा नहीं करता है तो धारा 9 के अंतर्गत उसे 3 साल की सजा 5 हजार जुर्माना व दोनों से दंडित किया जा सकता है। विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी के जीवन या फिर संपत्ति को जोखिम में डालने वाले विस्फोटक पदार्थ को कब्जे में रखता है तो उसे 10 साल कैद या फिर आजीवन कारावास हो सकता है।
यह नौ विभाग देते हैं एनओसी

विस्फोटक सामग्री के लिए लाइसेंस जारी करने से पहले आवेदन मिलने पर विस्फोटक नियंत्रण स्थानीय स्तर से एनओसी मांगता है। स्थानीय प्रशासन पुलिस, एसडीएम, खनिज, खाद्य, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, अग्नि सुरक्षा, वन मंडल, पीडब्ल्यूडी, बिजली विभाग से एनओसी मांगता है। एनओसी विस्फोट उपनियंत्रण कार्यालय से जारी की जाती है। वहीं से लाइसेंस जारी होता है।

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