रोजगार कार्यालय में सुबह से शाम तक पंजीयन के लिए लगी लंबी कतारे ये बताने के लिए काफी हैं कि बेरोजगारी का आलम क्या है। कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दस सालों में जितनी तेजी से पंजीयन हुए उसके पांच फीसदी का भी पंजीयन निरस्त नहीं हुआ। इससे साफ होता है कि युवाओं में रोजगार पाने की उम्मीद अब भी बरकरार है। जबकि नौकरियां है ही नहीं।
सरकारी आंकड़ों और हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक नॉन टेक विषयों से ग्रेजुएट युवाओं में से ७० फीसदी को अब भी कंप्यूटर का ज्ञान नहीं है। जबकि बाकी बचे ३० फीसदी युवा ठीक-ठाक कंप्यूटर नॉलेज के बूते प्राइवेट सेक्टर में समझौते की नौकरी कर रहे हैं। इनमें बीकॉम के स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा है, जबकि बीए करके अच्छी नौकरी का इंतजार कर रहे युवाओं के हाथ पूरी तरह से खाली है।
रोजगार के लिए पलायन करने मेें दुर्ग जिला अव्वल कहा जाने लगा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच सालों में टेक्निकल विषयों के 19 हजार युवा पलाकन कर चुके हैं। इनमें जहां १० हजार के करीब इंजीनियर हैं तो बीएससी कंप्यूटर साइंस, एमबीए और फार्मा विषय वाले युवाओं की तादाद ९ हजार के आसपास है।
सविंदा भर्तियां – चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों के पदों पर संविदा और नियमित स्तर पर भर्ती के ग्राफ में पिछले पांच सालों में लगातार कमी की गई। जिला पंचायत स्तर पर कई विभागों में नई भर्तियों पर विराम लगाया गया। उसी तरह नए भर्ती नियमों की वजह से सैकड़ों युवाओं को संविदा अवधि के पहले ही हटाया गया।
दसवीं – ८३३०३
बारहवीं – ९७७२७
यूजी, पीजी सामान्य – ४४५५६
इंजीनियरिंग एमबीए – ९०७५
मेडिसीन – ३५०
लॉ – ३२४
वेटनरी, एग्रीकल्चर – ३५