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भिलाई

ये है बेरोजगारी का काला सच, जिले में ढाई लाख युवा बेरोजगार, हर महीने तीन हजार नए चेहरे

तमाम सरकारी दावों और वादों के बीच प्रदेश में बेरोजगारों की फौज में हर साल हजारों नए चेहरे जुड़ते जा रहे हैं।

भिलाईJan 11, 2018 / 03:04 pm

Dakshi Sahu

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भिलाई. तमाम सरकारी दावों और वादों के बीच प्रदेश में बेरोजगारों की फौज में हर साल हजारों नए चेहरे जुड़ते जा रहे हैं। दुर्ग जिले की ही बात करें तो ढाई लाख बेरोजगार युवा कम वेतन ही सही, लेकिन रोजगार ? की उम्मीद में हैं। जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केंद्र के आंकड़ों की मानें तो हर महीने करीब तीन हजार युवा पंजीयन कराने पहुंचते हैं।
इनमें से आधी संख्या लड़कियों की होती हैं। मजेदार बात यह है कि बेरोजगारों की इस फौज के आधे से ज्यादा युवा बीए, बीएससी और बीकॉम विषयों के हैं, जिन्हें भीड़ बढ़ाने का सबब माना जाता है। ग्रेजुएशन के आंकड़ों पर गौर करें तो आर्ट में १४७३५, साइंस के ९४२१ और कॉमर्स के ७८८७ युवा अब भी बेरोजगार हैं, जबकि पोस्ट ग्रेजुएशन में भी स्थिति एक जैसी है। पीजी इन आट्र्स में ७५१४, साइंस में २७५८ और कॉमर्स में २२३८ युवा बेहतर नौकरी की राह तक रहे हैं।
न के बराबर पंजीयन निरस्त
रोजगार कार्यालय में सुबह से शाम तक पंजीयन के लिए लगी लंबी कतारे ये बताने के लिए काफी हैं कि बेरोजगारी का आलम क्या है। कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दस सालों में जितनी तेजी से पंजीयन हुए उसके पांच फीसदी का भी पंजीयन निरस्त नहीं हुआ। इससे साफ होता है कि युवाओं में रोजगार पाने की उम्मीद अब भी बरकरार है। जबकि नौकरियां है ही नहीं।
सत्तर फीसदी आज भी कंप्यूटर में नहीं दक्ष
सरकारी आंकड़ों और हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक नॉन टेक विषयों से ग्रेजुएट युवाओं में से ७० फीसदी को अब भी कंप्यूटर का ज्ञान नहीं है। जबकि बाकी बचे ३० फीसदी युवा ठीक-ठाक कंप्यूटर नॉलेज के बूते प्राइवेट सेक्टर में समझौते की नौकरी कर रहे हैं। इनमें बीकॉम के स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा है, जबकि बीए करके अच्छी नौकरी का इंतजार कर रहे युवाओं के हाथ पूरी तरह से खाली है।
रोजगार के लिए बढ़ा पलायन
रोजगार के लिए पलायन करने मेें दुर्ग जिला अव्वल कहा जाने लगा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच सालों में टेक्निकल विषयों के 19 हजार युवा पलाकन कर चुके हैं। इनमें जहां १० हजार के करीब इंजीनियर हैं तो बीएससी कंप्यूटर साइंस, एमबीए और फार्मा विषय वाले युवाओं की तादाद ९ हजार के आसपास है।
ये वजह भी जिम्मेदार
सविंदा भर्तियां – चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों के पदों पर संविदा और नियमित स्तर पर भर्ती के ग्राफ में पिछले पांच सालों में लगातार कमी की गई। जिला पंचायत स्तर पर कई विभागों में नई भर्तियों पर विराम लगाया गया। उसी तरह नए भर्ती नियमों की वजह से सैकड़ों युवाओं को संविदा अवधि के पहले ही हटाया गया।
इंडस्ड्रीज – जिले में इंडस्ट्रीयल सेटअप पहले ही चरमराया हुआ है। यही वजह है कि नौकरियों के मामले में नॉनटेक और टेक्निकल दोनों ही विधाओं के युवाओं के लिए दरवाजे कई सालों से बंद हैं। कई सालों में नए उद्योग नहीं खुले हैं।
मार्केटिंग – वर्तमान में यही विंग बेरोजगारों का सहरा बन रहा है। टेक्निकल और नॉनटेक युवा नौकरी न मिलने से परेशान होकर मार्केटिंग की जॉब कर रहे हैं। यकीन मानिए इनमें बीए, बीएससी कम है जबकि इंजीनियरिंग पास स्टूडेंट्स ज्यादा।
युवा उद्यर्मी – बेरोजगारों को हुनरमंद बनाकर रोजगार दिलाने का ख्वाब अधूरा ही रह गया। दुर्ग जिले में रोजगारमूलक प्रशिक्षण लेकर खुद को व्यवसाय शुरू करने वाले युवा कहीं देखने को नहीं मिलते।

फैक्ट फाइल –
दसवीं – ८३३०३
बारहवीं – ९७७२७
यूजी, पीजी सामान्य – ४४५५६
इंजीनियरिंग एमबीए – ९०७५
मेडिसीन – ३५०
लॉ – ३२४
वेटनरी, एग्रीकल्चर – ३५

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