scriptथैंक्यू पत्रिका, पहली बार ट्रेन में सवार हुए बस्तर के नक्सल प्रभावित गांवों से आए आदिवासी बच्चे, कहा सपना सच हुआ छुक-छुक गाड़ी का | Children from Naxal affected villages boarded the train for 1st time | Patrika News
भिलाई

थैंक्यू पत्रिका, पहली बार ट्रेन में सवार हुए बस्तर के नक्सल प्रभावित गांवों से आए आदिवासी बच्चे, कहा सपना सच हुआ छुक-छुक गाड़ी का

पत्रिका की पहल से उनका ये सपना संभव हो पाया। पत्रिका ने कलेक्टर दुर्ग सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे को बच्चों के बारे में जानकारी दी और उन्होंने गुरुवार को बच्चों के लिए स्पेशल ट्रेन ट्रिप का इंतजाम किया।

भिलाईSep 30, 2021 / 04:33 pm

Dakshi Sahu

थैंक्यू पत्रिका, पहली बार ट्रेन में सवार हुए बस्तर के नक्सल प्रभावित गांवों से आए आदिवासी बच्चे, कहा सपना सच हुआ छुक-छुक गाड़ी का

थैंक्यू पत्रिका, पहली बार ट्रेन में सवार हुए बस्तर के नक्सल प्रभावित गांवों से आए आदिवासी बच्चे, कहा सपना सच हुआ छुक-छुक गाड़ी का

भिलाई. हुडको स्थित श्रीशंकराचार्य विद्यालय के नजदीक से ट्रेन जब हार्न बजाते हुए गुजरी तो बच्चे झट से रूम के बाहर दौड़ पड़े.. कि बस एक बार ट्रेन देखने मिल जाए… पर ट्रेन तो वहां से बहुत दूर से गुजर रही थी। इसी बीच आसमान पर प्लेन भी दिखाई दिया तो वे तालियां बजाकर उछलने लगे.. शहरी बच्चों के लिए भले ही यह नई बात न हो पर बस्तर के गांव से आए इन आदिवासी बच्चों के लिए आज भी शहर की जिंदगी उनके लिए नई दुनिया जैसी है। इन दिनों राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिता में शामिल होने बस्तर जोन से सौ से ज्यादा खिलाड़ी भिलाई आए हैं, लेकिन इनमें से दो दर्जन से ज्यादा ऐसे है जो पहली बार अपने गांव से निकलकर बस में सवार हो यहां तक पहुंचे। खासकर जूडो में शामिल होने आई कोंडागांव जिले के नक्सल प्रभावित गांवों के इन नन्हे बेटे और बेटियों ने न तो कभी ट्रेन देखी और न ही आसमान में प्लेन को उड़ते देखा था। पिछले तीन दिनों से वे बस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके कोच उन्हें ट्रेन दिखाने ले जाएंगे.. और कब उन्हें ट्रेन में बैठने का मौका मिलेगा। क्योंकि इनमें कई बच्चे अनाथ भी है, जिन्हें शायद उम्मीद ही नहीं कि दोबारा उन्हें कोई इस तरह से घुमाकर रेल की सवारी कराए। पत्रिका की पहल से उनका ये सपना संभव हो पाया। पत्रिका ने कलेक्टर दुर्ग सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे को बच्चों के बारे में जानकारी दी और उन्होंने गुरुवार को बच्चों के लिए स्पेशल ट्रेन ट्रिप का इंतजाम किया। दुर्ग रेलवे स्टेशन में सुबह-सुबह पहुंचे बस्तर अंचल के बच्चों ने पहले स्टेशन मास्टर और रेलवे कर्मचारी से जानकारी ली। इसके बाद ट्रेन में सवार होकर दुर्ग से मरोदा स्टेशन तक पहुंचे यहां से उतरकर उन्होंने मैत्री बाग भी देखा। बच्चों ने पत्रिका को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह अनुभव वे जीवन भर कभी नहीं भूल पाएंगे।
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खिड़की पर टिकी निगाहें
जूडो के कोच और आईटीबीपी के हेडकांस्टेबल जय सिंह ने बताया कि पहली बार बच्चे अपने गांव से निकलकर भिलाई तक आए हैं और पूरे रास्ते उनकी निगाहें केवल बस की खिड़की पर टिकी रही। खासकर केशकाल घाट की घुमावदार सड़कें और पहाडिय़ों के किनारे रफ्तार से गुजरती छोटी-बड़ी गाडिय़ों को देख वे तालियां बजाने लगते। उन्होंने बताया कि इन बच्चों के लिए यह सफर काफी रोमांचक और यादगार रहा।
आईटीबीपी (ITBP) की वजह से संभव
कोडांगांव जिले के मर्दापाल, राणापाल, हडेली सहित आसपास के नक्सलप्रभावित गांवों के इन बच्चों ने पहली बार शहर का रुख किया है। ये बच्चे आज इसलिए यहां है कि वे आईटीबीपी 41 बटालियन के स्पोट्र्स कैंप में ट्रेनिंग ले रहे हैं। जूडो, तीरंदाजी और हॉकी में यह बच्चे काफी बेहतर कर रहे हैं। पिछले चाल साल में इन तीन खेलों में आईटीबीपी स्पोट्र्स ट्रेनिंग कैंप से 50 से ज्यादा बच्चे राष्ट्रीय स्तर तक पदक ले चुके हैं, वही हर साल नए बच्चे इन खेलों से जुड़कर खुद को मुख्यधारा से जोडऩे की कोशिश में लगे हुए हैं।

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