जूडो के कोच और आईटीबीपी के हेडकांस्टेबल जय सिंह ने बताया कि पहली बार बच्चे अपने गांव से निकलकर भिलाई तक आए हैं और पूरे रास्ते उनकी निगाहें केवल बस की खिड़की पर टिकी रही। खासकर केशकाल घाट की घुमावदार सड़कें और पहाडिय़ों के किनारे रफ्तार से गुजरती छोटी-बड़ी गाडिय़ों को देख वे तालियां बजाने लगते। उन्होंने बताया कि इन बच्चों के लिए यह सफर काफी रोमांचक और यादगार रहा।
कोडांगांव जिले के मर्दापाल, राणापाल, हडेली सहित आसपास के नक्सलप्रभावित गांवों के इन बच्चों ने पहली बार शहर का रुख किया है। ये बच्चे आज इसलिए यहां है कि वे आईटीबीपी 41 बटालियन के स्पोट्र्स कैंप में ट्रेनिंग ले रहे हैं। जूडो, तीरंदाजी और हॉकी में यह बच्चे काफी बेहतर कर रहे हैं। पिछले चाल साल में इन तीन खेलों में आईटीबीपी स्पोट्र्स ट्रेनिंग कैंप से 50 से ज्यादा बच्चे राष्ट्रीय स्तर तक पदक ले चुके हैं, वही हर साल नए बच्चे इन खेलों से जुड़कर खुद को मुख्यधारा से जोडऩे की कोशिश में लगे हुए हैं।