मेयर के नाम को लेकर कांग्रेस में पहले ही सहमति बन चुकी थी। सभापति को लेकर रस्साकशी जारी था। दो नाम आगे किए गए थे जिस पर सहमति नहीं बनी थी। इधर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भी कांग्रेस की कलह से अनजान नहीं थे। वे सीएम भूपेश बघेल और पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार के करीबियों में सभापति पद को लेकर खींचतान का फायदा उठाने में कोई चूक नहीं करना चाहते थे। इसलिए बहुमत नहीं होते हुए भी मेयर और सभापति के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा किया था। मेयर और सभापति के चुनाव के पहले जिला निर्वाचन अधिकारी दुर्ग कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने नवनिर्वाचित 40 पार्षदों को शपथ दिलाया। बतां दे कि भिलाई-चरोदा निगम पर पहले भाजपा का कब्जा था। लेकिन इस बार भाजपा बहुमत भी हासिल नहीं कर पाई।
मेयर चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी भी अपने पार्षदों को लेकर अमरकंटक के लिए निकल गई थी। भाजपा के नेता कांग्रेस के दावेदारों पर नजर रखे हुए थे। कांग्रेसी अगर मेयर या सभापति को लेकर दो खेमे में बंट जाते हैं तो उसका फायदा भाजपा उठाना चाहती थी। इसलिए भाजपा नेताओं की नजर कांग्रेस की हर गतिविधियों पर थी। इस उम्मीद में भारतीय जनता पार्टी संगठन भी पार्षदों को एक साथ लेकर भिलाई-चरोदा निगम दफ्तर सोमवार को पहुंचे। जहां पहले शपथ फिर मेयर और सभापति का चुनाव हुआ।