ज्ञात हो कि किसानों को खेती के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण दिया जाता है। ऋण की राशि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान लिकिंग के माध्यम से समायोजित कर ली जाती है। इस बार भी खरीदी के साथ ही किसानों से ऋण की राशि वसूल की जा रही है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयोजक राजकुमार गुप्ता का कहना है कि धान खरीदी के माध्यम से कर्ज लौटा चुके किसानों को कर्जमाफी की स्थिति में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए समितियों को आवेदन देकर वसूली नहीं करने की मांग की जा रही है।
संयोजक राजकुमार गुप्ता का कहना है कि शासन के नियमानुसार कर्ज लौटाने के लिए किसानों के पास मार्च तक का समय है। इसके बाद भी समितियों द्वारा हर साल समय से 4 से 5 माह पहले ही कर्ज की राशि की वसूली कर ली जाती है। शासन के नियमानुसार किसान मार्च से पहले कर्ज लौटाने बाध्य नहीं किए जा सकते।
संयोजक राजकुमार गुप्ता ने बताया कि बाद में कर्जमाफी के अलावा 25 सौ रुपए समर्थन मूल्य की घोषणा भी की गई है। महीनेभर बाद इस पर भी अमल हो सकता है। ऐसे में किसानों को 450 रुपए प्रति क्विंटल नुकसान उठाना पड़ सकता है। अभी धान 1750 रुपए प्रति क्विंटल और 300 रुपए बोनस दिया जा रहा है।