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भिलाई

अब मोबाइल और ड्रोन से फसल की हिफाजत करेंगे छत्तीसगढ़ के किसान, भिलाई के यंग प्रोफेशनल ने बनाया अनोखा सॉफ्टवेयर

भिलाई के कंप्यूटर साइंस प्रोफेशनल डॉ. तोरन कुमार वर्मा ने इसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो फसल की फोटो देखकर उसमें लगी बीमारी का सटीक ब्योरा देगा।

भिलाईJan 18, 2021 / 01:30 pm

Dakshi Sahu

अब मोबाइल और ड्रोन से फसल की हिफाजत करेंगे छत्तीसगढ़ के किसान, भिलाई के यंग प्रोफेशनल ने बनाया अनोखा सॉफ्टवेयर

अब मोबाइल और ड्रोन से फसल की हिफाजत करेंगे छत्तीसगढ़ के किसान, भिलाई के यंग प्रोफेशनल ने बनाया अनोखा सॉफ्टवेयर

भिलाई. प्रदेश के किसान अब अपनी फसल की हिफाजत हाईटेक तरीके से करेंगे। मोबाइल और ड्रोन की मदद लेकर फसलों में लगने वाली बीमारियों का पता आसानी से लगाया जा सकेगा। यह सब कुछ इमेज प्रोसेसिंग के जरिए पूरा होगा। भिलाई के कंप्यूटर साइंस प्रोफेशनल डॉ. तोरन कुमार वर्मा ने इसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो फसल की फोटो देखकर उसमें लगी बीमारी का सटीक ब्योरा देगा। भिलाई के संतोष रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज में कार्यरत डॉ. तोरन द्वारा बनाए गए इस सॉफ्टवेयर को छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय ने भी सराहा है।
कैमरे से बीमारी की निगरानी
अभी तक किसान मैनुअल खेत के हर एक हिस्से में जाकर फसल की देखरेख करते हैं। फसल में लगने वाली बीमारी का पता रंग के आधार पर लगाया जाता है। इमेज प्रोसेसिंग तकनीक के जरिए उनकी यह परेशानी दूर हो जाएगी। खेत में लगे सीसीटीवी कैमरे को सॉफ्टवेयर से जोड़कर फसलों की लगातार मॉनिटरिंग की जा सकेगी। फसल का हर बार रंग बदलने पर सॉफ्टवेयर किसान को आगाह करेगा। जिस तरह अभी मौसम वैज्ञानिक मौसम को लेकर के पूर्वानुमान लगाते हैं, ठीक वैसे ही इमेज प्रोसेसिंग के जरिए फसल में लगने वाली बीमारी का भी पूर्वानुमान लगाने में बड़ी मदद मिलेगी।
अब मोबाइल और ड्रोन से फसल की हिफाजत करेंगे छत्तीसगढ़ के किसान, भिलाई के यंग प्रोफेशनल ने बनाया अनोखा सॉफ्टवेयर
कैसे काम करेगा सॉफ्टवेयर
फसल में बीमारी लगने के बाद उसमें कलर स्पॉट पैदा होते हैं। अभी किसान भी इसी को देखकर बीमारी का पता करते हैं, और दवाइयों का छिड़काव करते हैं। जैसे पत्ती पर छोटे स्पॉट बनने पर इसे ब्राउन स्पॉट बीमारी कहा जाता है, ऐसे ही पत्ती पर पीलापन दिखने पर लीफ ब्लॉस्ट बीमारी का पता चलता है। यदि धान की बाली सूखकर सफेद हो जाएगी तो सॉफ्टवेयर समझ जाएगी कि फसल इस्टमबोरर बीमारी का शिकार हुई है, जिसे वक्त रहते ठीक किया जा सकेगा। इससे किसान को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा।
ह्यूमन इंटेलिजेंट होगा खास
डॉ. तोरन ने बताया कि जिस तरह एक किसान अपनी समझ से फसल की बीमारी का पता लगाता है, ठीक ऐसे ही विशेष सॉफ्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए किसान की ही तरह काम करेगा। पूरा प्रोसेस ऑटोमैटिक होगा। इसके लिए सॉफ्टवेयर को विशेष कोडिंग के जरिए विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। न्यूरल नेटवर्क ऑफ फजीइंफेरेंस सिस्टम तैयार कर रहे हैं। जिस किसानों के पास सैकड़ों एकड़ जमीन में उनके लिए ड्रोन तकनीक काम आएगी, जबकि छोटे किसान सिर्फ अपने मोबाइल का उपयोग कर फसल की निगरानी कर पाएंगे। बता दें कि तोरने वर्मा को इसी विषय में सीएसवीटीयू से पीएचडी की उपाधि भी मिली है। दुर्ग-रायपुर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में उन्होंने इस तकनीक का ट्रायल भी किया है, जिसमें सफलता मिली है।

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