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भिलाई

सैकड़ों लोगों के सामने पिता ने बेटे के लिए कहा, ये तो बुद्धु है, इसको वॉट्सऐप चलाने नहीं आता, फिर क्या हुआ?

ऐसी ही दर्जनों सवालों के रोचक जवाब सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर व सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच चिरंजीव जैन और कॅरियर काउंसलर डॉ. किशोर दत्ता ने पैरेंट्स की गुत्थियां सुलझाईं हैं।

भिलाईJan 08, 2020 / 01:28 pm

Mohammed Javed

parenting today

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भिलाई . अजीब मुसीबत है। एक तरफ पैरेंट्स बच्चों में मोबाइल एडिक्शन को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं तो दूसरी ओर ऐसे पैरेंट्स भी हैं जो अपने लाडले के टेक्नोफ्रेंडली न बन पाने से परेशान हुए बैठे हंै। दरअसल, एक पैरेंट ने एक्सपट्र्स से सवाल किया कि उनका लाडला पढ़ाई में तो बेहतर है, लेकिन उसे वॉट्सएप चलाना नहीं आता। एक्सपर्ट यह सुनकर हैरान हो गए। पैरेंट ने बड़ी उदासी के साथ आगे बताया कि पड़ोसी का बेटा फेसबुक और वॉट्सएप का मास्टर है। पड़ोसी ताना मारता है ‘क्या यार आपके बेटे को वॉट्सएप चलाना नहीं आता…। जैसे ही पैरेंट से अपनी बात पूरी की सबकी नजरें एक्सपर्ट के जवाब पर टिक गई।
जानिए… क्या दिया इनको एक्सपर्ट ने जवाब
एक्सपर्ट थोड़ा रुके फिर बोले, आप पहले इंसान है, जिसका लाडला फिलहाल मोबाइल एडिक्शन से दूर हैं। अपने पड़ोसी को भी गर्व से यह बात समझाइए। उनसे कहिए… मेरा बेटा पढ़ाई के दिनों में सिर्फ पढ़ रहा है, शुक्र है उसे टेक्नोफ्रेंडली बनने का चस्का नहीं लगा। और हां… कम से कम वॉट्सएप नहीं चला पाने जैसी बात के लिए बच्चों को कम्पेयर मत ही कीजिए तो बेहतर होगा।
यहां पूछा गया ये अद्भुत सवाल…
ऐसी ही दर्जनों सवालों के रोचक जवाब सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर व सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच चिरंजीव जैन और कॅरियर काउंसलर डॉ. किशोर दत्ता ने पैरेंट्स की गुत्थियां सुलझाईं हैं। ऐसे ही सवालों का जवाब आप पत्रिका के फेसबुक पर पेज पर भी पूछ सकते हैं। एक्सपट्र्स आपके सवालों का जवाब जरूर देंगे।
बच्चा वॉट्सएप चलाए तो पैरेंट्स का स्टेट्स सिंबल
मोबाइल पर गेम, वॉट्सएप और फेसबुक चलाने वाले बच्चे अपने पैरेंट्स के लिए एक तरह का स्टेट्स सिंबल बन गए हैं। पैरेंट्स बड़े गर्व ने बताते हैं देखो… इतनी छोटी उम्र में हमारा बेटा वॉट्सएप चलाता है। ये कुछ ऐसा है जैसे एक १५ साल का लड़का पापा को बैठाकर एसयूवी चलाए। चार लोग देखकर कहे, वाह… आपका बेटा कार भी चला लेता है। खैर… आपके लिए स्टेट्स दिखाना अच्छा हो सकता है, लेकिन मोबाइल से बच्चों की इतनी गहरी दोस्ती पर इतराना आगे चलकर आपको परेशानी में डाल देगा।
मोबाइल ही छुड़वाएगा एडक्शिन की लत
मोबाइल एडिक्शन से परेशान पैरेंट्स की बात सुनकर एक्सपट्र्स ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। अब मोबाइल ही एडक्शिन की लत छुड़वाएंगे। आपके बच्चे के मोबाइल में प्ले स्टोर से ‘ब्रेक फ्री सेलफोन एडिक्शनÓ और ‘एडिक्शन मीटरÓ नाम के एप इंस्टॉल करने होंगे। यह एप आपको बताएंगे कि आपके बच्चे ने दिन के कितने घंटे कौन सी साइट या वॉट्सएप, फेसबुक पर बिताए। अगर, बच्चा आपके फोन पर कई घंटों तक गेम खेलने का आदि है तो यह एप उसे गेम को हाइड करने में भी मददगार साबित हो सकता है। प्ले स्टोर पर ऐसे कई एप हैं जो मोबाइल एडिक्शन को कंट्रोल करने में मदद करेंगे।
ये है मोबाइल एडिक्शन के लक्षण
-थोडी-थोड़ी देर में मोबाइल चेक करना चालू है या नहीं।
-सिर्फ मोबाइल में ही लगे रहना।
-आसपास के माहौल से अनजान रहना।
-बात-बात में चिड़चिड़ाना, तनाव ग्रस्त रहना।
-किसी से बात भी नहीं करना। परिवार में भी दूर रहना।
-मोबाइल दूर हो जाने पर बैचेन हो जाना,जिद करना।
-मोबाइल को हर समय अपने पास रखना।
ये हो सकता है बचाव
-बच्चों को मोबाइल एडिक्शन से बचाने के लिए पैरेंट्स कम से कम स्कूल की पढ़ाई होने तक बच्चों को मोबाइल न दें।
-कॉलेज पहुंचने पर बच्चों को मोबाइल दे भी दे तो उनको मानसिक रूप से ट्रेंड करें कि उनके लिए क्या अच्छा है,क्या बुरा है।
-मोबाइल एडिक्शन से सिर्फ मोबाइल से दूरी से ही बचाया जा सकता है, घर पर अनुशासनात्मक माहौल बनाएं।
-जब घर पर सभी होते है तो मोबाइल के उपयोग पर बड़े छोटो सभी रोक लगाए।
-जितना काम हो,उतना ही मोबाइल का उपयोग करें, मन से कोशिश करे मोबाइल से दूरी बनाने की।
-बच्चे मोबाइल पर क्या देख रहे है,कितना यूज कर रहे है, इस बात का पैरेट्स ध्यान रखें।

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