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भिलाई

वोरा के निधन के बाद अब ताम्रध्वज साहू को बाबूजी के रूप में प्रतिष्ठित कर रहे हैं समर्थक, पेशे से किसान गृह मंत्री की ऐसी है सियासी पारी

शहर में जगह-जगह बधाई संदेश वाली होर्डिंग्स लगी है, जिसमें पहली बार कार्यकर्ता उन्हें सियासत के ‘बाबूजी के रूप में प्रतिष्ठित कर रहे हैं।

भिलाईAug 03, 2021 / 11:38 am

Dakshi Sahu

वोरा के निधन के बाद अब ताम्रध्वज साहू को बाबूजी के रूप में प्रतिष्ठित कर रहे हैं समर्थक, पेशे से किसान गृह मंत्री की ऐसी है सियासी पारी

वोरा के निधन के बाद अब ताम्रध्वज साहू को बाबूजी के रूप में प्रतिष्ठित कर रहे हैं समर्थक, पेशे से किसान गृह मंत्री की ऐसी है सियासी पारी

भिलाई. जिला ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ की राजनीति में दिवंगत मोतीलाल वोरा बाबूजी के नाम से जाने जाते थे। वोरा के निधन के बाद अब गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के प्रति उनके युवा समर्थक सम्मान का कुछ ऐसा ही भाव व्यक्त कर रहे हैं। 6 अगस्त को साहू का जन्मदिन है। शहर में जगह-जगह बधाई संदेश वाली होर्डिंग्स लगी है, जिसमें पहली बार कार्यकर्ता उन्हें सियासत के ‘बाबूजीÓ के रूप में प्रतिष्ठित कर रहे हैं। दरसअल वोरा के निधन के बाद अब 6 अगस्त 1949 को जन्मे ताम्रध्वज पार्टी में वरिष्ठ और बुजुर्ग चेेहरा माने जाने लगे हैं। जिले की कांग्रेस राजनीति में आई शून्यता की पूर्ति सर्व स्वीकृत व्यक्तित्व ताम्रध्वज के रूप में की जाने लगी है। पेशे से किसान ताम्रध्वज 1998-2000 के बीच अविभाजित मध्यप्रदेश में विधायक रहे। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे 2000-2003 तक जोगी सरकार में शिक्षा एवं जल संसाधन मंत्री रहे। 2003 में धमधा से फिर विधायक चुने गए। 2008 में बेमेतरा से चुनाव जीते। हालांकि 2013 में दूसरी बार में वहां चुनाव हार गए। लेकिन एक साल बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में दुर्ग सीट से जीतकर पूरे छत्तीसगढ़ में एकमात्र कांग्रेसी सांसद रहेे। अभी वे प्रदेश के गृहमंत्री हैं।
युवाओं को मिल रहा समर्थन
इससे पहले तक ताम्रध्वज के राजनीतिक सफर में उनके ज्यादातर समर्थक ग्रामीण क्षेत्र और हमउम्र थे। दुर्ग ग्रामीण विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने से रिसाली शहरी क्षेत्र में सक्रियता के साथ ही उनके समर्थकों की संख्या भी अब काफी बढ़ गई है। यहां उनके बड़े बेटे जितेंद्र साहू भी अब राजनीति में खुलकर भागीदारी निभा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस में ओहदा के साथ ही जितेंद्र रिसाली निगम क्षेत्र को संभाल रहे हैं, कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यहां उनकी अपनी युवाओं की टोली है।
अरूण और अरविंद के साथ सबके बाबूजी बन गए थे वोरा
वोरा परिवार के काफी निकट रहे पूर्व साडा उपाध्यक्ष बृजमोहन सिंह बताते हैं कि अरूण वोरा 1982 में दुर्ग शहर जिला एनएसयूआई अध्यक्ष बने। इसके बाद 1984 में दुर्ग शहर जिला युवक कांग्रेस का नेतृत्व उन्हें सौंपा गया। अरूण और उनके बड़े भाई अरविंद वोरा को बाबूजी कहते थे। इसलिए उनके साथ जुड़े युवा भी बाबूजी कहने लगे। बाद में वरिष्ठ कांग्रेसी भी सम्मान के भाव से वोरा को बाबूजी ही संबोधित करने लगे। इस तरह वोरा छत्तीसगढ़ में सियासत के ‘बाबूजीÓ बन गए। बताया जाता है कि यह संबोधन इतना प्रचलित हुआ कि दिल्ली मेंं अन्य प्रदेश के नेता भी बाबूजी ही कहने लगे थे।
जितेंद्र भैया तो ताम्रध्वज को बाबूजी ही कहेंगे न
हैप्पी बर्थडे बाबूजी संदेश लिखा होर्डिंग लगवाने वाले युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव अमित जैन का कहना है कि ताम्रध्वज के बेटे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री जितेंद्र साहू को हम लोग भैया कहते हैं। उनके साथ अब ताम्रध्वज को भी बाबूजी कहने की आदत हो गई। ताम्रध्वज की सरलता और सहजता को देखकर ऐसी भावना स्वभाविक तौर पर भी आती है।
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