मामले का खुलासा भाजपा के मंडल अध्यक्ष बलदेव निषाद और वेद प्रकाश साहू ने किया है। साहू ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा सिरसाखुर्द को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, लेकिन यहां 25 फीसदी घरों में अब भी शौचालय नहीं बना है।
साहू ने बताया कि जिनके घरों में शौचालय नहीं हैं, उनके नाम दूसरों के शौचालय की दीवारों पर लिखकर राशि भुगतान करना बता दिया गया। इसके अलावा करीब 75 फीसदी हितग्राहियों को शौचालय की पूरी राशि नहीं मिली है।
मामले की शिकायत नवंबर में जिला पंचायत में कराई गई है। शिकायतकर्ताओं ने प्रमाण में फोटोग्राफ्स भी जमा कराए हैं। इसमें एक शौचालय की अलग-अलग दीवारों पर फगनी बाई और सुगन बाई दो नाम लिखा दिखाया गया है। यहां करीब दर्जनभर शौचालयों में यहीं स्थिति है।
शिकायत के बाद तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ आरके खुटे ने जांच के लिए 6 अफसरों की टीम भी बनाई थी। ग्रामीणों की मानें तो जांच के नाम पर अफसरों ने शिकायतकर्ताओं को बुलाकर लिखित बयान ले लिया गया। बयान में कई लोगों ने गड़बड़ी की पुष्टि की है।
शिकायतकर्ता वेदप्रकाश साहू ने बताया कि जांच दल को दिसंबर में रिपोर्ट जमा कराने कहा गया था, लेकिन अब तक जमा नहीं कराई गई है। इसका खुलासा सूचना का अधिकार में हुआ है। आवेदन के जवाब में जिला पंचायत ने रिपोर्ट प्राप्त नहीं होना बताया है।
शौचालय के निर्माण व भुगतान में गड़बड़ी का मामला नगपुरा में भी खुल चुका है। इस मामले की जांच भी संदेह के दायरे में हैं। सीईओ ने 7 अफसरों को जांच की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन केवल 2 अधिकारी पहुंचे। वहीं अफसरों ने अब तक रिपोर्ट जमा नहीं कराई है।
गांवों में ही दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में भी शौचालय में गड़बड़ी का भंडा फूट चुका है। यहां एक ही शौचालय के लिए दो एजेंसियों को भुगतान कर देने का मामला सामने आया है। इस मामले की भी जांच कराई जा रही है।