पोर्टर पूरा नहीं पहुंचे, तो ८ लोको से रॉ मटीरियल सप्लाई करने के स्थान पर तीन से ही काम लिया गया। बिना प्रशिक्षण के एक विभाग के लोको संचालकों से दूसरे स्थान पर काम करवाना रिस्क होता है।इस वजह से प्रबंधन ने इस तरह का कदम भी नहीं उठाया।
पोर्टर चाहते हैं कि उनको राज्य शासन से निर्धारित मिनिमम वेज, २३ सौ रुपएएडब्ल्यूए दिया जाए।अब उनसे प्रबंधन चाहे तो 20 दिन ही काम करवा ले, लेकिन 15 दिन काम करवाने के बाद, अगर ठेकेदार उनके वेतन का पचास फीसदी दबाने की कोशिशकरेगा, तो वह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।ठेकेदार काम से निकालने की धमकी देकर, कम से कम रोजी पर काम करवा रहा है।जिसकी वजह से वे परेशान हो चुके हैं।यह हालात पूरे संयंत्र में है।
श्रमिक नेता प्रमोद कुमार मिश्रा ने कहा कि मिनिमम वेतन दिलाने के लिए वे हर स्तर पर पहल करेंगे। ठेकेदार व प्रबंधन दोनों मिलकर श्रमिकों के वेतन से कटौती करते हैं।श्रमिकों के पैसे का बंदरबांट पूरे संयंत्र में चल रहा है। श्रमिकों को मिनिमम न्यूनतम वेतन दिलाने के लिएमुहीम छेडऩे की तैयारी की जा रही है।
बीएसपी के श्रमिक नेता निर्मल मिश्रा के अनुसार पोर्टरों ने बताया कि वे हड़ताल पर चले गएहैं। अब प्रबंधन से चर्चा कर इस मामले को सुलझाने की कोशिश की जाएगी।प्रबंधन अगर न्यूनतम वेतन नहीं दिलाता है, तो दिक्कत और बढ़ेगी, दूसरे विभाग में भी यहां से आंच पहुंचेगी।