अब तक गई है १२ रैक बीएसपी प्रबंधन को सबसे अधिक उम्मीद यूआरएम से थी, अब तक उस उम्मीद में यूआरएम खरा नहीं उतरा है। इस वजह से प्रबंधन के सामने ढेर सारी दिक्कत पेश आ रही है। भिलाई इस्पात संयंत्र ने भारतीय रेल को इस माह १९ दिनों में १२ रेक लांग्स रेलपांत की सप्लाई किया है। सप्ताह में पांच-पांच दिनों तक तकनीकी दिक्कत के नाम पर यूआरएम से उत्पादन ठप रहा है। जिसका यह असर है।
यूआरएम को चाहिए पर्याप्त ब्लूम बीएसपी के नई इकाई यूआरएम को जरूरत के मुताबिक ब्लूम भी प्रबंधन मुहैया नहीं करवा पाया था। जिसकी वजह से दिक्कत आना लाजमी है। अब ब्लास्ट फर्नेस से उत्पादन नार्मल हुआ है, तब यह परेशानी पेश आ रही है।
जोड़-जोड़ कर भेज रहे यूआरएम में दुनिया की सबसे सबसे लंबी रेल पटरियों का उत्पादन शुरू किए थे। दिक्कत आने की वजह से छोटे-छोटे रेलपांत को जोड़कर भेजना पड़ रहा है। भारतीय रेल को केवल सेल से ही पटरियों की आपूर्ति की जा रही थी, लेकिन लगातार जिस तरह से मांग के मुताबिक उत्पादन नहीं किया जा सका है, उसकी वजह से अब निजी कंपनी को भी सेल रेलपांत का आर्डर दे रही है।
१२ लाख टन का है ऑर्डर बीएसपी भारतीय रेल को सालाना 8 लाख टन रेल पटरियों की आपूति4 करती है। वर्तमान वित्त वर्ष २०१८-१९ में १२ लाख टन रेलपांत आपूर्ति करने का आर्डर मिला हुआ है। भारतीय रेल की ओर से लगातार २६० मीटर लंबी पटरियों की मांग की जा रही थी। बीएसपी इसके लिए अलग-अलग टुकड़ों को जोड़कर आपूर्ति कर रहा था। जिसमें बीएसपी की पुरानी इकाई से 65 मीटर लंबी पटरियों का उत्पादन कर उसे वेल्डिंग कर रेलवे की मांग को पूरा कर रहे थे। नई यूआरएम के शुरू होने से बीएसपी 130 मीटर लंबी पटरी का उत्पादन कर, उसके दो पीस की वेल्डिंग कर भारतीय रेल के लिए 260 मीटर लंबी पटरी की आपूर्ति कर रही है। इससे रेलवे को लंबी रेलपांत की सप्लाई हो रही है। रेलपांत का समय पर सप्लाई करना है।