रोडवेज प्रबंधन ने आगार से चलने वाली नियमित शिड्यूल में फिलहाल कोई कटौती नहीं की है। चार्ट के मुताबित बसें चल रही है, लेकिन बसों में क्षमता के पचास प्रतिशत भी यात्री नहीं मिल रहे है। आधी गाड़ी खाली जा रही है। लोग संक्रमण के लगातार बढ़ते आंकड़ों से भयभीत है। एेसे में यात्रा करने से कतराने लगे है। सरकार भी जरूरत होने पर ही यात्रा करने की सलाह दे रही है।
एक सप्ताह पूर्व तक भीलवाड़ा आगार को दस से बारह लाख की आय हो रही थी। संक्रमण की दर बढ़ते ही आय गिर गई। इन हालात में वर्तमान में आगार को कमाई तो दूर, डीजल का पैसा निकालने में जोर आ रहा है। इससे एक बार फिर बसों का संचालन घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
वर्ष-२०२० कोरोना की पहली लहर के बाद से रोडवेज के लिए समय अच्छा नहीं चल रहा। पहले लॉकडाउन और उसके बाद दूसरी लहर में भी लम्बे समय रोडवेज का संचालन बंद रहा। उसके बाद भी काफी समय तक लोग संक्रमण के डर से यात्रा नहीं कर रहे थे। सरकार से हरी झण्डी मिलने के बाद त्योहारी सीजन अच्छा निकला। रोडवेज को शुक्रवार को मलमास खत्म होने के बाद अच्छी आय की उम्मीद थी। लेकिन तीसरी लहर ने फिर संकट पैदा कर दिया।