पंडित अशोक व्यास ने बताया कि पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक कल्पवास का समय होता है। कल्पवास के दौरान एक बार भोजन कर तीन बार स्नान कर विधि से पूजन किया जाता है। कल्पवास के दौरान पूजन का भी विशेष महत्व माना गया है। गंगा स्नान के साथ ही गीता पाठ, सूर्यदेव की पूजा, तुलसी के पौधे की बनी पूजा, तिल, गुड़ व आंवला से चीजों का दान व सेवन का भी विशेष धार्मिक महत्व है।
मौनी अमावस्या 9 व बसंत पंचमी 14 को
माघ में 13 व्रत व त्योहार रहेंगे। इनमें प्रमुख तौर पर मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी व माघ माह की पूर्णिमा हैं। माध के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को माघ की अमावस्या है। इसे मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या भी कहते हैं। 9 फरवरी की सुबह 8.2 बजे से माघ कृष्ण अमावस्या की तिथि शुरू हो रही है। ये तिथि 10 फरवरी को सुबह 4.28 बजे तक रहेगी। 6 फरवरी को षटतिला एकादशी, 7 फरवरी को तिल द्वादश व प्रदोष व्रत, 8 फरवरी को मास शिवरात्रि, 9 को मौनी अमावस्या, 12 को गौरी तृतीया, 13 को वरद विनायक गणेश चतुर्थी, 14 को बसंत पंचमी, 16 को अचला सप्तमी, 17 को दुर्गा अष्टमी, 18 को महानंदा नवमी, 20 फरवरी को जया एकादशी व भीष्म द्वादशी, 21 को माघी पूर्णिमा और 24 फरवरी को भैरव जयंती है।