राजू भील की पांच माह के पुत्र विशाल को कुछ दिनों से पेट दर्द और सांस लेने की शिकायत थी। तीन दिन पहले बच्चे की मां खेत पर गई थी। पीछे उसकी दादी ने किसी महिला को बच्चे को दिखाया। महिला ने दागने की सलाह दी। परिजन इस अंधविश्वास में आ गए।
महिला ने गर्म तार से विशाल के पेट पर डाम लगा दिया। तीन दिन पूर्व हुई घटना के बाद भी बच्चे की हालत में सुधार नहीं होने पर परिजन उसे रात में एमसीएच लेकर पहुंचे। चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे गहन शिशु चिकित्सा इकाई में भर्ती कर लिया। इसकी जानकारी बाल कल्याण समिति अध्यक्ष सुमन त्रिवेदी को दी गई। उन्होंने कोटड़ी पुलिस को कार्रवाई के आदेश दिए गए।
डेढ़ माह में चौथी घटना, दो साल में तीन बच्चों की मौत जिले में मासूमों को डाम लगाने की डेढ़ माह में चौथी घटना है। बदनोर के रघुनाथगढ़ में ३० अगस्त को तेजू भील की आठ माह की बेटी ललिता को डाम लगा दिया। उसे भी एमसीएच में भर्ती कराया गया था। ३ सितम्बर को महुआ खुर्द के शिवराम भील का चार साल का बेटे दीपक को रिश्तेदार रामेश्वर भील ने डाम लगाया था। उसके बाद १६ सितम्बर को मांडल क्षेत्र के माली खेड़ा में छह माह की बालिका को डाम लगा दिया था। जिले में दो साल में डाम से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। करीब बीस घटनाओं में बच्चों की हालत बिगड़ी।
बढ़ती घटनाएं चिंता की बात समिति अध्यक्ष त्रिवेदी ने बताया कि डाम लगाने की घटनाएं चिंताजनक हैं। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ कर्रवाई भी की। इस समय मौसमी बीमारियों का प्रकोप है। बच्चों को पेट दर्द, उल्टी और निमोनिया हो सकता है। बच्चों को भोपों के बजाय चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।
बदलता मौसम में बच्चों की सेहत पर खतरा चिकित्सकों के अनुसार मौसम में हर दिन बदलाव हो रहा है। कभी उमस तो कभी बारिश से मौसम में नमी आ जाती है। एेसे में बदलता मौसम बच्चों को बीमार कर रहा है। निमोनिया, पेट दर्द, खांसी-जुकाम होना बात है। शिकायत पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लें। अंधविश्वास के चक्कर में मासूम की जान खतरे में नहीं डालें।