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भीलवाड़ा

कहीं आराम कर रहे थे तो कहीं पर भोजन

मनरेगा श्रमिक सुबह नौ बजे ही समूह के साथ बैठे मिले

भीलवाड़ाJul 04, 2020 / 08:19 am

Suresh Jain

If you were resting somewhere then you had food somewhere in bhilwara

If you were resting somewhere then you had food somewhere in bhilwara

भीलवाड़ा .

जिले में मनरेगा के तहत सवा तीन लाख से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। इसके बावजूद कार्यस्थलों पर सुविधाओं के नाम पर महज कागजी दावे ही किए जा रहे है। प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से भी ध्यान नही देने से श्रमिक गर्मी में कार्यस्थलों पर परेशान हो रहे है। इसके अलावा निगरानी के अभाव में कई जगह पर गड़बडिय़ा भी हो रही हैं। पत्रिका ने मनरेगा कार्यस्थलों की पड़ताल की तो अधिकांश कार्यस्थलों पर आवश्यक सुविधाओं का अभाव था।
समूह में भोज, पानी लाते है घर से
सुवाणा पंचायत समिति के डूंगड़ा का रास्ता का कार्य स्वीकृत किया गया है। यहां ११० श्रमिक के स्थान पर ९० ही महिला श्रमिक मिली। यहां यहा सुबह साढ़े आठ बजे ही भोजन के लिए महिलाएं समूह में बैठी हुई थी। पानी भी अपने घर से साथ में लेकर आते है। मास्क तो नहीं मिले, लेकिन सभी महिलाओं के गले में स्टॉल थी। सेनेटाइजर, छाया आदि की व्यवस्थाएं भी नही हैं। मेट उर्मिला ने एक जून की हाजरी भी रजिस्ट्रर चैक करने के दौरान भरी थी। श्रमिकों की हाजरी काम से लौटने के बाद भरते है। मेट ने बताया कि यहां ११० श्रमिक कार्यरत है। लेकिन मौके पर कम थे। यहां पानी सहित अन्य कोई भी व्यवस्था नही है।
२७० का मस्टररोल, मौके पर कम
हलेड़ रोड़ पर सड़क किानेर पर २७० श्रमिक काम करना बताया। लेकिन मौके पर ७० शअरमिक भी नहीं थे। मेट जगदीश जाट ने बताया कि काम आगे भी चल रहा है। यहां भी अधिकांश महिलाएं एक परिसर में खाना खाने में व्यस्त थी।वही कुछ महिलाएं तो फोटो खिंचने के चलते भागकर काम पर जुट गई। मस्टररोल में २७० श्रमिक इंद्राज थे, लेकिन मौके पर कम थे। यहां छाया, पानी जैसी व्यवस्थाएं नही थी।
श्रमिक कर रहे थे आराम
सुवाणा के पास मॉडल स्कूल के आगे एक खेत के रास्ते का कार्य चल रहा था। यहां सुबह सवा नौ बजे सभी महिलाए एलग-अलग समूह में बैठी मिली। कुछ महिलाएं सौते हुए मिली। ७५ साल के मांगी लाल ने बताया कि वह भी मनरेगा में मिट्टी डालने का काम कर रहा है। एक ८५ साल वृद्धा आराम से बैठी थी। बुद्धी देवी ने बताया कि वह भी काम कर रही है।
मनमर्जी की स्थितियां
मनरेगा कार्य स्थलों पर पालना, छाया, पानी, की व्यवस्था का अभाव हैं। प्रशासनिक स्तर पर निगरानी नहीं होने से मनमर्जी की स्थितियां भी हैं। मनरेगा का समय सुबह 6 बजे से हैं, लेकिन अधिकांश पंचायतों में श्रमिक सात बजे बाद उपस्थिति दे रहे हैं। उनकी हाजरी तक नहीं ली जाती है। श्रमिकों के लिए मास्क की व्यवस्था भी नही थी।
व्यवस्थाओं का लेंगे जायजा
हाल ही में जिले में सभी अधिकारियों ने सर्वे किया था। फिर भी कहीं से अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायत है तो उसकी जांच करके व्यवस्थाओं को सुधारा जाएगा। श्रमिकों की संख्या ४ लाख से अब कम होकर ३ लाख तक आ गई है।
गोपाल राम बिरड़ा, सीईओ जिला परिषद
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