सीएस गौरव दाधीच ने बताया कि टेक्सटाइल उद्योग की सबसे बड़ी विसंगति यह है कि यार्न पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत तथा कपड़े पर 5 प्रतिशत है। इसके बीच के अन्तर को लेकर केंद्र सरकार सरप्लस जीएसटी को रिफंड भी कर रही है थी। इस प्रक्रिया में सरकार व उद्यमी का समय व श्रम तथा राशि दोनों खर्च होने के बाद भी सरकार को इससे किसी तरह का लाभ नहीं हो रहा था। इसलिए इस परेशानी को दूर करने के लिए यार्न पर जीएसटी दर 5 प्रतिशत करने की मांग लम्बे समय से की जा रही थी। इस मांग पर विचार करते हुए जीएसटी काउसिंल की बैठक में यह निर्णय किया है कि यार्न व कपड़े पर अब एक जनवरी २०२२ से एक समान दर लागू होगी। ताकि रिफंड की समस्या समाप्त हो सके।
गलत क्रेडिट लेने व उपयोग में लेने पर ही लगेगा ब्याज
व्यापारी किसी भी खरीद पर अधिक क्रेडिट लेने पर सरकार व्यापारी से २४ प्रतिशत की दर से ब्याज वसूल कर रही थी। चाहे व्यापारी ने उस क्रेडिट को काम नहीं ली हो, इसका भी औद्योगिक संगठन विरोध कर रहा था। अब सरकार ने निर्णय किया है कि अगर गलत क्रेडिट वसूली गई हो लेकिन व्यापारी के पास पड़ी है और काम में नहीं ली है तो उस पर किसी तरह का ब्याज नहीं लगेगा। कोई इसे काम में लेता है तो उसकी ब्याज दर को भी २४ प्रतिशत से घटाकर १८ प्रतिशत कर दिया गया है। इस निर्णय से भी उद्यमियों को बड़ी राहत मिली है। इसके साथ ही सरकार के स्तर पर लंबित मामलों में व्यापारियो को राहत मिलेगी। अगले महीने से जीएसटीआर-1 देरी से भरने पर विलंब शुल्क लगेगा।