दरअसल, चुनाव आचार संहिता से पहले सड़कों व अन्य विकास कार्यों की स्वीकृतियां जारी कर दी गई, लेकिन सिलिकोसिस पीडि़तों की मदद के लिए राशि दी नहीं गई। इस पर राजस्थान पत्रिका ने 16 अक्टूबर को जिक्र में जिंदा, फिक्र में नदारद समाचार प्रकाशित कर सिलिकोसिस रोगियों की पीड़ा को उजागर किया था।
समाचार प्रकाशन के बाद जिला कलक्टर शुचि त्यागी ने इसे गंभीरता से लिया और राज्य निर्वाचन आयोग से अनुमति के लिए पत्र लिखा। इस पर आयोग ने उपचार के लिए राशि के भुगतान की अनुमति दे दी।
गौरतलब है कि चुनावी साल में जिला प्रशासन ने खनिज ट्रस्ट की राशि बांटने में भले जल्दबाजी दिखाई, लेकिन जो असली हकदार थे, उन्हें सहायता नहीं मिली। खदानों में पत्थर तोडऩे वाले सिलिकोसिस के कई बीमार मजदूर उपचार के दौरान दुनिया छोड़ गए।
नियमानुसार डिस्ट्रिक मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) से भुगतान करना होता है। सिलिकोसिस मरीजों को उपचार के लिए एक लाख रुपए की सहायता दी जाती है। मरीज की मौत होने पर परिजनों को तीन लाख रुपए और दिए जाते हैं। आचार संहिता प्रभावी होने पर यह राशि अटक गई थी, लेकिन अब भुगतान की अनुमति मिल है।