54 वर्षीय संजय कॉलोनी निवासी लादूलाल सुथार का कहना है कि करीब ४० साल पहले आरा मशीन पर काम करते समय एक हाथ की हथेली कट गई। उनकी रायला के निकट रायसिंगपुरा में फैक्ट्री है। जहां लकड़ी का काम किया जाता है। पेशे से कारपेंटर लादूलाल हथेली नहीं होने से सामान्य कार-जीप नहीं चला सकते है। इस हालत में गियर लगाना सम्भव नहीं है। एेसे में उनको फैक्ट्री आने जाने में परेशानी हो रही थी। किसी पर निर्भर न रहना पड़े, इसी से प्रेरित होकर लकड़ी की जीप को तैयार कर दिया।
लकड़ी की बॉडी, चार बैट्री, बाइक के टायर लगाए
लादूलाल ने बताया कि उन्होंने जीप को रायसिंगपुरा स्थित फैक्ट्री में तैयार किया। जीप की बॉडी लकड़ी से बनाई। चार बैट्री लगार्ई। जीप में मोटरसाइकिल के टायर लगाए। इसमें न क्लिच है और न गियर। चार जने आसानी से बैठ सकते हैं। बनाने में सवा दो लाख रुपए का खर्चा आया। इस जीप में सब्जी समेत अन्य सामान खरीद कर लाया जा सकता है।
एक पखवाड़े में पचास ऑर्डर मिले लादूलाल ने बताया कि उनको जीप का निर्माण किए महज एक माह हुआ है। वह जब गाड़ी लेकर फैक्ट्री जाते है तो रास्ते में कई लोग रोककर गाड़ी देखते हैं और अपनी जिज्ञासाएं शांत करते हैं। उनको एक पखवाड़े में ही इस तरह की जीप तैयार करने पचास ऑर्डर मिल चुके हैं।
80 किमी में 15 रुपए का खर्चा, बैट्री चार्ज करो और चल दो महंगे पेट्रोल-डीजल से लोग परेशान है। एेसे में यह गाड़ी पसंद की जा रही है। लादूलाल का कहना है कि ८० किमी में महज १५ रुपए का खर्चा आता है। बैट्री चार्ज करने की जरूरत है। ३० किमी की रफ्तार से गाड़ी चलाने पर परिवहन विभाग की औपचारिकता की जरूरत नहीं है। इस तरह की गाड़ी की होटल, पर्यटन स्थल और फार्म हाउस पर डिमाण्ड है। लकड़ी की यह जीप वाटर पू्रफ है।