बच्चे भीख मांगकर चला रहे घर का गुजारा
सड़क हादसे में परिवार के मुखिया की रीढ़ की हड्डी टूटीएक साल से खाट पर
बच्चे भीख मांगकर चला रहे घर का गुजारा
भीलवाड़ा।
जिले के शक्करगढ़ क्षेत्र में राज्य व केंद्र सरकार गरीबों को आवास, राशन व पेंशन पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे कर रही है। लेकिन सरकारी नुमाइंदों की अनदेखी के चलते छोटे-छोटे गांवों में अब भी इस तरह के लोग हैं। जिन तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। यदि परिवार के मुखिया पर कोई विपत्ति आ जाए तो इसका परिणाम सारे परिवार को भुगतना पड़ता है। ऐसी ही विपदा अमरगढ़ पंचायत के मोहनपुरा निवासी कालू पर आ पड़ी। करीब सालभर पहले एक सड़क हादसे ने कालू के हंसते खेलते परिवार की खुशियां छीन ली। कालू 1 साल पूर्व मजदूरी करके घर लौट रहा था इस दौरान सड़क दुर्घटना में एक वाहन की चपेट में आने से उस की रीड की हड्डी टूट गई। घर में जो कुछ था वह उपचार में लगा दिया। अब कालू एक साल से खाट पर पड़ा पड़ा दुख झेल रहा है। परिवार दो वक्त की रोटी का मोहताज हो चला है और भीख मांगने को मजबूर है।
अब तक नहीं मिली कोई सरकारी सुविधा
कालू के परिवार में उसके दो बेटी, दो बेट, पत्नी व बूढ़ी मां है। कालू की पत्नी कांता मजदूरी कर परिवार का लालन पालन कर रही है। लेकिन इससे घर का गुजारा चलना मुश्किल है। कभी कभार तो कालू के बच्चे गांव से ही कुछ घरों से रोटी मांग कर लाते हैं। कई बार तो भूखे रहकर रात गुजार देते हैं। कालू का परिवार कच्ची झोपड़ी में रहकर गुजारा कर रहा है उसके पास न कोई जमीन है न पक्का आवास। राशन कार्ड है लेकिन उससे सरकारी राशन का गेहूं नहीं मिलता। अभी तक प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिला है। चारों बच्चों को पालनहार योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है। कालू की पत्नी कांता ने पंचायत मुख्यालय पर चक्कर काटकर जनप्रतिनिधियों से सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
इनका कहना है
बच्चों के पिता यदि 40 प्रतिशत विकलांग की स्थिति में हैं तो बच्चों को पालनहार योजना में पेंशन मिलेगी। इसके लिए ई-मित्र से आवेदन करना होगा। कालू की मेडिकल रिपोर्ट भिजवाएं। बच्चों को पालनहार योजना में जोड़ दिया जाएगा।
गौरव सारस्वत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता अधिकारी, भीलवाड़ा
इस परिवार के सदस्यों के दस्तावेज उपलब्ध कराएं। इसके लिए लिए जो भी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध होगी वह करवाने का प्रयास किया जाएगा।
-मुकुंदसिंह शेखावत, तहसीलदार, जहाजपुर
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