पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कलेक्टर ने स्थानीय विधायक के दबाव में ऐसी संस्थाओं को समर्थन मूल्य का खरीद केंद्र नहीं बनाया जो कभी मप्र में उत्कृष्ट संस्था का सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। इसकी वजह इन संस्थाओं के निर्वाचित अध्यक्ष कांग्रेस के होना है। विधायक के इशारे पर ऐसी संस्थाओं को खरीद केंद्र बनाया गया है, जिनके कर्मचारियों पर कबन एवं संस्था की राशि वसूली होने के साथ लाखों रुपए के घाटे में चल रही हैं। ऐसे में वर्तमान कलेक्टर के रहते निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव होना संभव नहीं है।