भिंड

देशभर में सप्लाई के लिए घर-घर में बन रहा मिलावटी मावा

त्याेहार पर करोड़ों का कारोबार

भिंडOct 27, 2021 / 11:34 am

deepak deewan

भिंड. महापर्व दीपावली पास में है और ऐसे में चंबल में मिलावटी मावा का कारोबार चरम पर पहुंच चुका है. यहां हर रोज कई टन मिलावटी मावा तैयार हो रहा है जिसे त्याेहार पर देशभर में सप्लाई किया जाता है. रोज करोड़ों रुपए के मावा की खपत हो रही है. कई इलाकों में तो घर—घर में मावा बनाने का कारोबार किया जा रहा है.

चंबल संभाग अब मिलावटी मावा के काले कारोबार के लिए कुख्यात हो रहा है. हाल ये है कि केवल भिंड जिले में ही हर रोज करीब 10 टन मिलावटी मावा तैयार हो रहा है. जिले में मावा की सौ से ज्यादा फैक्टरी हैं जिनमें से कई अवैध हैं. यहां के कई गांवों के घर—घर में दीपावली के सीजन पर मिलावटी मावा तैयार किया जाता है.

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दीपावली पर यहां मावा का हर रोज करोड़ों का लेन—देन होता है. यहां तैयार मिलावटी मावा की देशभर में सप्लाई की जाती है. उत्तर भारत में मथुरा, दिल्ली, आगरा तक में यह मावा जा रहा है वहीं महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई तक इसका कारोबार फैला हुआ है. गुणवत्ता में कम होने के बाद भी यहां के मिलावटी मावा की जबर्दस्त डिमांड रहती है.

भिंड जिले के करीब पचास गांवों में मावा का काला कारोबार हो रहा है. अनुमान के अनुसार इस कारोबार में करीब 2000 लोग जुड़े हुए हैं. इनमें से कुछ मावा के बड़े कारोबारी हैं. जिले के बरोही, गाेरमी, पावई, फूप, लहार, दबोह, मिहोना, आलमपुर, अटेर, सुरपुरा आदि इलाकों में मिलावटी मावा तैयार किया जाता है.

दूध से क्रीम अर्थात वसा को निकाल लिया जाता है और इसके बाद मावा तैयार किया जाता है। इस मावा में वनस्पति घी, रिफाइंड, स्टार्च, आलू के साथ ही कुछ केमिकल भी मिलाते हैं. दूध से वसा निकाल लिए जाने के कारण इस मावा में चिकनाई बनाए रखने के लिए यह मिलावट खोरी की जाती है. केमिकल का उपयोग स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक साबित होता है.

मिलावटी मावा की ऐसे करें पहचान
मावा को सूंघने से उसमें वनस्पति घी या रिफाइंड की खुशबू आ जाती है. हालांकि केमिकल्स की मिलावट का लैब पर ही परीक्षण किया जा सकता है. खाद्य विभाग को सैम्पल भेजकर मावा का परीक्षण करा सकते हैं. स्टार्च या आलू की मिलावट जानने के लिए आयोडिन की एक एमएल मात्रा में थोड़ा मावा डालें. यदि इनकी मिलावट होगी तो मावा नीला हो जाएगा.

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