नहीं मानी हार…
रोशनी भिंड जिले के अजनोल गांव में रहती हैं। उनके गांव से उनका स्कूल 12 किलोमीटर दूर मेहगांव इलाके में है। गांव में बरसाती नाले पर पुल ना होने पर स्थिति ये थी कि बारिश के दिनों में रोशनी वापस अपने घर नहीं आ पाती थी और उसे मेहगांव में अपने रिश्तेदारों के यहां रुकना पड़ता था। कड़ाके की सर्दी का मौसम हो, बारिश हो या तेज धूप रोशनी इन सब को पार करके अपने स्कूल पहुंचती थी।
बनना चाहती है IAS
रोशनी ने बताया कि वो बड़े होकर आईएएस की परीक्षा देकर कलेक्टर बनना चाहती है, इसलिए शुरू से ही उसका ध्यान पढ़ाई पर रहता है। रोशनी के 36 वर्षीय पिता पुरुषोत्तम भदौरिया पेशे से एक किसान हैं। उसकी मां भी 12वीं तक पढ़ी हैं। ऐसे में 2 बेटों के बीच इकलौती बेटी रोशनी को कभी भी किसी ने पढ़ाई के लिए रोका-टोका नहीं। रोशनी के पिता की माने तो वो भी चाहते हैं कि रोशनी अच्छा पढ़-लिखकर गांव और परिवार का नाम रोशन करें।
100 में से 100 अंक हासिल किए
आपको बता दें कि 15 वर्षीय रोशनी ने गणित और विज्ञान विषय में 100 में से 100 अंक हासिल किए हैं। उन्होंने बताया कि वो समाज में बदलाव लाना चाहती हैं, यही वजह है कि वो आईएएस अधिकारी बनना चाहती हैं। भिंड खासकर लड़कियों के लिए बहुत पिछड़ा इलाका है। उनके पिता कहते है कि मेरे सभी बच्चे काफी अच्छे छात्र हैं। उनका पढ़ाई में मन लगता है। लेकिन इस लड़की ने सभी गर्व करने का मौका दिया है। इस इलाके में ऐसा कोई भी नहीं जिसने इतने अंक हासिल किए हों।