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भिंड

बस ऑपरेटर व राज्य सरकार की उलझन में फंसा परिवहन संचालन

प्राइवेट टैक्सी संचालक कमा रहे मोटा मुनाफा, लोगों पर पड़ रहा खर्च का बोझ

भिंडJul 05, 2020 / 10:04 pm

महेंद्र राजोरे

बस ऑपरेटर व राज्य सरकार की उलझन में फंसा परिवहन संचालन

भिण्ड बस स्टैंड परिसर।

भिण्ड/आलमपुर. राज्य सरकार व निजी बस संचालकों की आपस में खींचतान की वजह से आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। लॉकडाउन के लगभग चार माह बीत चुके हैं। उसके बाद भी सार्वजनिक बसों का परिचालन नहीं होने की वजह से जनता को आवागमन के लिए समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वहीं जो लोग बीमार हैं और इलाज के लिए दूसरे शहर में जाना चाहते हैं। उन लोगों को भी उपचार मुहैया नहीं हो पा रहा है।

उल्लेखनीय है कि आलमपुर कस्बे के लोगों को आए दिन छोटी-बड़ी समस्याओं के लिए कस्बे के बाहर भिण्ड, ग्वालियर या दतिया जाना पड़ता है, लेकिन बीते तीन महीने से बस ऑपरेटर व राज्य सरकारों की आपसी खींचतान की वजह से लोग आवागमन की सुविधा से वंचित हैं। वहीं ज्यादा जरूरी काम होने पर लोगों को निजी वाहनों को किराए पर कर लेकर जाना पड़ रहा है, जिससे उनकी जेबों पर मोटा खर्च बढ़ रहा है। लॉकडाउन को चार माह से अधिक गुजरने के बाद भी बसों का परिचालन बंद है। आलमपुर क्षेत्र के 25 से अधिक गांव के लोगों को अपने कार्यों के लिए कस्बे तक आना पड़ता है। फिर यदि आलमपुर में काम नहीं हो पाता तो लोग दूसरे शहरों के लिए रुख करते हैं, लेकिन हालात बदलने की वजह से लोगों को निजी वाहनों के किराए का बोझ उठाना पड़ रहा है। वहीं प्रदेश में कई जगह लोकल स्तर पर वाहन शुरू हो चुके हैं, लेकिन दबोह व आलमपुर से बसों का संचालन शुरू नहीं हो पाने के कारण लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। कई गरीब परिवार ऐसे हैं जो प्राइवेट वाहनों का खर्चा वहन कर पाने में सक्षम नहीं, लेकिन आवश्यक कार्यों को लेकर उन्हें भी मजबूरी में आवागमन करना पड़ता है। वहीं प्रशासन द्वारा जनता की समस्या की ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

लॉकडाउन के चलते वसूल रहे तीन गुना किराया

लोगों का कहना है कि अधिकांश बसों का परिचालन पूरी तरह से बंद है, लेकिन कुछ निजी वाहन संचालक तीन गुना किराया वसूल कर गाड़ी ले जा रहे हैं। जो निजी चार पहिया वाहनों के भाड़े से भी अधिक पड़ रहा है। ऐसे में 4.5 लोग इक_ा होकर चार पहिया वाहन को किराए पर कर लेते हैं और अधिक पैसे लगने के अलावा चार पहिया वाहनों में आराम भी रहता है। इसलिए भी लोग बसों से यात्रा करना दरकिनार कर रहे हैं। वहीं ग्वालियर के लिए बसों में एक सवारी से 600 रुपए वापसी किराया वसूल किया जा रहा है। जो बसों में केवल 10-15 सवारियां ही ले जाते हैं।

बस ऑपरेटर व राज्य सरकार बीच फंसा मामला

सार्वजनिक परिवहन संचालन बस ऑपरेटर व राज्य सरकार के बीच उलझ गया है। निजी बस ऑपरेटर सरकार से लॉकडाउन के दौरान बसों का संचालन नहीं होने पर टैक्स माफी की बात कह रहे हैं और 50 फीसदी किराया भी बढ़ाने की बात कर रहे हैं, जबकि सरकार टैक्स माफ ी को लेकर अभी तक कुछ नहीं कह रही है। ऐसे में बस संचालन व राज्य सरकार के आपसी दावपेंच में आम आदमी ***** रहा है। दोनों पक्षों की यह हठधर्मिता लोगों की जेब सहित उनके स्वास्थ्य व रोजगार भी भारी पड़ रही है।

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