एम्स भोपाल के पूर्व निदेशक डॉ. सरमन सिंह भी कहते हैं कि ऐसे मामलों पर वैज्ञानिक एकमत नहीं हैं। दोनों भाइयों को फिजियोथैरेपी, ट्रेनिंग और ट्रीटमेंट सपोर्ट दिया जाए, तो वे चलने में सक्षम हो सकते हैं। इनकी बहन जरूर सेलेब्रल पाल्सी से ग्रस्त नजर आती है।
तीनों मजदूर परिवार के हैं जिसके कारण आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. इनके पिता गांव में ही खेतिहर मजदूरी करते हैं। युवा अवस्था में होने के बावजूद तीनों भाई-बहन बच्चों जैसा व्यवहार करते हैं, टूटे फूटे खिलौनों से खेलते हैं। बच्चों के पिता शफीक खान बताते हैं कि जन्म के बाद ये तीनों बच्चे सामान्य थे लेकिन जैसे-जैसे बडे़ हुए तो ये चलने-फिरने के बजाए जमीन या बिस्तर पर पड़े रहते थे। सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि ये बच्चे ऐसे ही रहेंगे। विदिशा अस्पताल में ऐसी बीमारी से ग्रस्त कई अन्य बच्चे भी मिले थे। शफीक के कुल सात बच्चों में से तीन बच्चे दिव्यांग हैं।