scriptएक्टर राकेश बेदी : 17 सालों में किए 350 शो, 24 कैरेक्टर करते हैं सोलो | rakesh bedi theatre : 350 shows done in 17 years, 24 characters perfor | Patrika News
भोपाल

एक्टर राकेश बेदी : 17 सालों में किए 350 शो, 24 कैरेक्टर करते हैं सोलो

रवीन्द्र भवन में युवा उत्सव का समापन, अंतिम दिन अभिनेता राकेश बेदी के सोलो नाटक ‘मसाज’ का मंचन

भोपालSep 23, 2019 / 02:19 pm

hitesh sharma

17 सालों में किए 350 शो, 24 कैरेक्टर करते हैं सोलो

17 सालों में किए 350 शो, 24 कैरेक्टर करते हैं सोलो

भोपाल। रवीन्द्र भवन में चल रहे युवा उत्सव का रविवार को समापन हो गया। अंतिम दिन नाटक ‘मसाज’ का मंचन हुआ। नाटक में अभिनेता राकेश बेदी ने सोलो परफॉर्म किया है। इस नाटक को लेखक विजय तेंदुलकर ने मराठी में लिखा है। पिछले 17 सालों में वे इसके करीब 350 शो कर चुके हैं। वे इसमें अकेले ही 24 किरादारों का रोल प्ले करते हैं। विजय तेंदुलकर के इस नाटक के मराठी में भी महज 5 शो ही हुए। राकेश बेदी ने इसका हिन्दी रूपांतरण कर इस पर नाटक तैयार किया। इसका निर्देशन हरिवंश सिंह ने किया है।
राकेश बताते हैं कि जब इस नाटक को देखने खुद विजय आए थे, तो वे महज 20 मिनट बाद ही उठकर चले गए। उन्होंने कहा कि ये मेरा लिखा नाटक तो है ही नहीं। मैंने उन्हें बताया कि मैं इस नाटक में आपकी कहानी को जी रहा हूं। यह एक गंभीर नाटक है, जिसे मैंने हास्य और व्यंग्य रूप में भी पेश किया। मैंने इसे इंटरनेशनल लेवल पर भी पेश किया है।

यह है कहानी :

कहानी एक छोटे से शहर के आम शख्स हैपी कुमार की है जो मुंबई में अपने सपनों की तलाश में आता है। हैपी की जेब खाली हैं, लेकिन आंखों में सपना हीरो बनने का है। यहां उसकी मुलाकात सर्प कथाओं और सेक्स आधारित विषयों पर फिल्में बनाने वाले निर्देशक कोहली से होती है। वह उसे अपना फोर्थ असिस्टेंट डायरेक्टर बना लेता है। इसके बाद हैपी को कोहली निजी काम कराने लगता है और उसे पगार भी नहीं मिलती। इससे परेशान होकर वह निर्देशक के पास जाता है और उसकी फिल्म में रोल मांगता है। वह उसे अपनी अगली फिल्म में छोटा सा रोल देने की बात कहता है। वह एक जिम में बतौर ट्रेनर काम शुरू करता है। स्ट्रगल के बावजूद उसे फिल्मों में तो काम नहीं मिलता, लेकिन जिम के बतौर ट्रेनर वह खूब नाम कमा लेता है। यहीं काम करते करते वह लोगों की मसाज करनी शुरू करता है। यहीं से हैपी का सफर एक मसाज करने वाले के तौर पर शुरू होता है। नाटक में सामाजिक मुद्दों के साथ गांवों से शहरों में आने वाले व्यक्ति के संघर्ष को दिखाया गया है।
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