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भोपाल

कानपुर-हैदराबाद से लाए गए 44 बच्चों को नशीली दवा का डोज देकर भीख मंगवा रहा था गिरोह

प्रशासन ने हैदराबाद-कानपुर से बाल भिक्षावृति के लिए लाए गए 44 बच्चों को छुड़ायाबच्चों से भीख मंगवाने वाले 22 महिला और पुरुषों को पकड़ा

भोपालMay 22, 2019 / 10:22 am

KRISHNAKANT SHUKLA

44 begging children

44 begging children

भोपाल. पुलिस, प्रशासन, बाल कल्याण समिति और चाइल्ड लाइन की टीम ने कानपुर-हैदराबाद से बाल भिक्षावृत्ति के लिए लाए गए 44 बच्चों को दो अलग-अलग भीख गिरोह से मुक्त कराया गया है। वहीं, मासूमों से भीख मंगवाने वाले सात पुरुष 15 महिलाओं को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।

आशंका जताई जा रही कि गिरोह मासूम बच्चों को बेसुध करने नशीली दवाओं को उपयोग करता होगा। गिरोह में दुधमुंहे बच्चों से लेकर उम्र के अंतिम पड़ाव तक के महिला-पुरुष, विकलांग शामिल हैं। इन सभी को प्रशासन ने श्यामला हिल्स इलाके के सरकारी छात्रावास में रखा है। गिरोह अशोकागार्डन, जहांगीराबाद में रहकर शहर के अलग-अलग तिराहे-चौराहे, धार्मिक स्थलों के बाहर बच्चों से भीख मंगवाता था।

व्हील चेयर पर बच्चों को निकालते थे

गिरोह के पर्दाफाश में मुख्य भूमिका निभाने वाले मकबूल दयावान का कहना कि गिरोह दोपहर 2 बजे के बाद निकलता था। व्हील चेयर में बच्चों को बेहोशी की हालत में रखा जाता है। बिना नशे के इस तरह बच्चों को रखना संभव नहीं है।

डेढ़ से दौ सौ रुपए किराया

प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि जिन महिलाओं के पांच से सात बच्चे हैं। वह अपने बच्चे को उन पुरुष-महिलाओं को किराए पर देती थीं, जिनके पास बच्चे नहीं हैं। एक बच्चे का किराया डेढ़ सौ से दो सौ रुपए तक लिया जाता था।

बच्चों की काउंसिलिंग की जा रही है। बच्चों से जुड़े पहचान के दस्तावेज चेक किए जाएंगे। इसके बाद ही बच्चों को उन्हें सौंपा जाएगा। फैजान खान, सुपरवाइजर, महिला बाल विकास

पांच से सात-सात बच्चे, पिता का पता नहीं

पकड़ी गईं महिलाओं ने खुद के पांच से सात-सात बच्चे बताए। कानपुर उत्तरप्रदेश की रहने वाली सुनीता नट ने बताया कि वह अपने सात बच्चों के साथ भोपाल आई थी। जब उसके बच्चों से पूछताछ कर रहे अधिकारियों ने पिता का नाम पूछा तो बच्चे नहीं बता सके।

सुनीता का कहना है कि उसके तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। इसी तरह सविता ने बताया कि उसकी तीन बेटियां हैं। एक बेटी डेढ़ साल की है, जबकि सबसे छोटी छह माह की है।

अधिकारियों को संदेह है कि इतने कम समय के अंतराल में सविता के दूसरी बेटी का जन्म कैसे हो गया। हालांकि सविता कहना कि वह तीन दिन पहले ही भोपाल आई है। उसका कहना कि रमजान में वह हर साल आती है। रमजान में उसे कपड़े समेत अन्य सामान दान में मिल जाता है। इसके बाद वह चली जाती है। सविता का कहना कि गरीबी की वजह से वह आती है।

बच्चों के दस्तावेज नहीं होने पर डीएनए टेस्ट

बच्चों के पहचान के दस्तावेज पेश नहीं करने की स्थिति में प्रशासन इनका डीएनए टेस्ट कराएगा। जिससे कि महिलाओं के दावों की सच्चाई जानी जा सके। आशंका जताई जा रही कि अधिकतर बच्चे उन महिलाओं के नहीं हैं, जो खुद के बच्चे होने का दावा कर रही हैं।

बच्चों की काउंसलिंग कराई जा रही है। वह अभी प्रशासन की टीम को गुमराह कर रहे हैं। जिससे पूरे गिरोह की हकीकत नहीं पता चल पा रही है। काउंसलिंग के बाद पुनर्वास के लिए कदम उठाए जाएंगे।

&सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट तैयार की जा रही है। रिपोर्ट के बाद परिवार के पुनर्वास समेत अन्य प्रक्रिया पूरी की जाएंगी। जिन बच्चों की पहचान पर संदेह है उनका डीएनए टेस्ट कराया जाएगा।
कृपाशंकर चौबे, सदस्य, बाल कल्याण समिति

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