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भोपाल

5500 मोहल्ला समितियां आवारा कुत्तों से लेकर विकास कार्यों की निगरानी हो जाती

भोपाल। नगर निगम आवारा कुत्तों की निगरानी और आबादी नियंत्रित करने रहवासी संघों की मदद ले रहा है। 26 लाख आबादी वाले शहर में निगम बमुश्किल 20 से 30 रहवासी संघों तक पहुंच पा रहा है। यदि निगम शासन के नियमों के अनुसार शहर में बूथवार या गली के अनुसार मोहल्ला समिति तय कर देता तो 5500 से अधिक समितियां कुत्तों की निगरानी से लेकर विकास कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में निगम की मददगार साबित हो सकती थी।

भोपालJan 27, 2024 / 12:00 pm

देवेंद्र शर्मा

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अब भी निगम बूथवार मोहल्ला समिति का गठन करें तो निगम की पहुंच शहर के हर कोने-गली तक हो जाए। गौरतलब है कि निगम प्रशासन ने रहवासी संघों से बैठक कर बुधवार को कुत्तों की निगरानी में मदद करने की अपील की है।
5500 समितियों से हर क्षेत्र में निगरानी
– शासन के नियमों के तहत 100 घरों पर एक मोहल्ला समिति बनाना तय किया हुआ है। शहर में करीब साढ़े पांच लाख घरों के आधार पर ही स्थिति निकाले तो 5500 समितियां बनती है। इन समितियों का उद्देश्य ही संबंधित क्षेत्र, मोहल्ले में शासन के दिशा निर्देश गाइडलाइन व विकास- लाभ की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाना है।
100 से भी कम समितियां पंजीबद्ध
शहर की आबादी और घरों के हिसाब से भोपाल शहर में कई गुना कम समितियां बनी हुई है। करीब 100 समितियों को ही निगम ने पंजीबद्ध किया हुआ है। निगम प्रशासन समय-समय पर इनसे चर्चा करता है। निगम को उसका लाभ भी मिलता है। स्वच्छता सर्वेक्षण से लेकर सरकार की जनता से जुड़ी योजनाओं में इन समितियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्राथमिकता में रखी लेकिन काम नहीं किया
तत्कालीन महापौर आलोक शर्मा ने अपनी परिषद की पांच प्राथमिकताओं में मोहल्ला समितियों के गठन की बात रखी थी, लेकिन इसपर काम आगे नहीं बढ़ पाया। मौजूदा परिषद ने इस मामले में रूचि नहीं दिखाई। शासन के मोहल्ला समिति गठन नियमों के तहत पंजीयन हो और संबंधित क्षेत्र में होने वाले कामों, योजनाओं में समितियों को भागीदार बनाएं तो निगम की व्यवस्था बेहतर हो सकती है।
इसलिए डर
– मोहल्ला समितियां नए नेतृत्व को उभारने का काम करेगी। क्षेत्रीय पार्षद के लिए ये ठीक नहीं होगा। राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर आमजन की सहभागिता बढऩे का अर्थ है काम में कसावट और जवाबदेही तय होना। इससे ही बचने के लिए मोहल्ला समितियों का पूरी तरह से गठन नहीं किया जा रहा।
कोट्स
मोहल्ला समितियां बनवाने निगम प्रशासन ने कोई रुचि नहीं ली। हमने अपने मंदाकिनी कॉलोनी की मोहल्ला समिति बनवाई, लेकिन प्रशासन को जिस तरह से क्षेत्रीय विकास में हमारी भागीदारी कराना थी वह नहीं करा पाया। यह दुखद है।
– आशा देवलिया, अध्यक्ष मंदाकिनी मोहल्ला समिति

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